Sunday, April 18, 2010

विवादास्पद अध्याय का समापन

संयुक्तराष्ट्र संघ के अध्यक्ष पद तक के लिए किस्मत आजमा चुके केरल के शशि थरूर ने भारतीय राजनीति में बड़ी आस लेकर उतरे थे। उन्होंने सोचा था कि वह अपने नए विचारों से भारतीय राजनीति की दिशा बदलने में कारगर भूमिका निभाएंगे लेकिन अपने सारे अरमानों पर उन्होंने खुद पानी फेर दिया।

राज्य विदेश मंत्री का ओहदा पाने के बाद से ही शशि थरूर के कदम बहकने लगे थे। उन्होंने न सिर्फ कई सारे विवादास्पद बयान दिए बल्कि अपनी पार्टी की छवि धूमिल करने में बड़ी भूमिका निभाई। थरूर ने सबसे ज्यादा विवादास्पद बयान ट्विटर पर दिया जिससे उन्हें बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था लेकिन आखिरकर आज वह दिन आ ही गया जब उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा।

ट्विटर पर कैटल क्लास को लेकर पूरे देश की आलोचना झेल चुके थरूर अब इस बार आईपीएल में नई टीम कोच्ची को लेकर ऐसे विवादों में फंसे कि विपक्ष का वार वह नहीं झेल पाए। आईपीएल में थरूर पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी सहयोगी सुनंदा पुष्कर को अच्छा-खासा शेयर दिलवाया। हालांकि इस मुद्दे पर थरूर ने अपने आपको पूरी तरह से पाकसाफ बताया लेकिन विपक्ष के कड़े तेवर और कांग्रेस आलाकमान के सामने थरूर अपना पक्ष ठीक तरह से नहीं रख सके।

कांग्रेस पार्टी थरूर के ट्विटर विवाद को किसी तरह से झेल ले गई लेकिन आईपीएल विवाद पर विपक्ष के उग्र मिजाज का सामना करने की हिम्मत पार्टी नहीं जुटा पाई। वैसे देखा जाए तो थरूर को बहुत पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी में इसी तरह से नटवर सिंह को भी इत्सीफा देना पड़ा, उन्हें ईरान में ऑयल डील विवाद पर पार्टी से रुख्सत होना पड़ा था।

कुछ इसी तरह से शशि थरूर के साथ हुआ हालांकि उन्हें किसी डील में फंसने की वजह से अपने पद से हाथ नहीं धोना पड़ा बल्कि उन पर लग रहे आरोपों में कहीं न कहीं सच्चाई को देखते हुए पार्टी अब नहीं चाहती की विपक्षी उनपर हावी हों। इस तरह से कांग्रेस पार्टी ने शशि थरूर का इस्तीफा मांगकर काफी दिनों से चले आ रहे विवादास्पद अध्याय को बंद कर दिया है।