Tuesday, March 16, 2010

करोड़ों का गिफ्ट, नहीं आया गरीबों का ख्याल

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने बड़ी ही धूमधाम से बीएसपी की 25वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर एक महारैली का भी आयोजन किया गया था जिसमें दूर-दराज के लोग शिरकत करने आए थे। इन्हीं लोगों में कुछ ऐसे भी थे जो मायावती की सिर्फ एक झलक पाने के लिए आए थे।

अभी तक हमने देखा है कि लोग अपनी मुरादों को पूरा करने के लिए देवी-देवताओं के दर्शन करने जाते हैं। और कुछ तो ऐसे होते हैं जो घुटनों के बल, कुछ हांथ पर जलते हुए दिए लेकर.. कहने का मतलब कई तरह से अपनी मान्यताओं को पूरा करते हैं।

कुछ इसी तरह से हुआ माया की महारैली में भी। दलितों की देवी कही जाने वाली मायावती का सिर्फ एक दर्शन भर पाने के लिए एक इंसान इस रैली में घुटनों के बल रेंगता हुआ आ पहुंचा था। इसकी यही इच्छा थी कि वह अपनी देवी मायावती का दर्शन कर ले और उसने किया भी।

खैर यह बात तो हुई देवी के दर्शन की। अब बात आती है नोटों की देवी की अर्थात इस महारैली में बसपा कार्यकर्ताओं ने 20 मीटर लंबी नोटों की माला कुमारी बहन मायावती के गलों में सुशोभित किया। इस माला में एक-एक हजार के नोट लगे हुए थे। अनुमान लगाया गया कि इस माला में कई करोड़ के नोट का इस्तेमाल किया गया था।

धन्य हैं बहन मायावती, इतना बड़ा उपहार लेते वक्त उन्हें जरा भी झिझक महसूस नहीं हुआ। उन्हें यह भी खयाल नहीं आया कि मैनें तो एक बार मनगढ़ हादसे में पीड़ित परिवारों को मदद के नाम पर ठेंगा दिखा दिया था। उन्हें यह भी अहसास नहीं हुआ कि बरेली में कई परिवार घर के अंदर बंद रहकर घुटन महसूस कर रहे हैं।

खैर इस देवी को तो दौलत और लोगों के हुजूम के बीच महारैली का जुनून सवार था। इस जुनून के आगे उन्हें गरीब परिवारों का दुख जरा भी नहीं आया। यहां पर महारैली के नाम पर कई करोड़ रुपया पानी की तरह बहा दिया गया लेकिन कोई यह पूछने वाला नहीं था कि उन्हीं के राज्य में कितने गरीब भूखे सो रहे हैं और यहां जश्न के नाम पर उड़ाने के लिए इतना पैसा कहां से आया।

इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि ऐसे नेता हमारे पालनहार बने हैं। हमारे देश की जनता भूखों मरना पसंद करेगी लेकिन ऐसे दैव्य स्वरूप नेता के खिलाफ आवाज उठाना इन्हें कतई बर्दास्त नहीं होगा।

Monday, March 15, 2010

महिलाओं को खुली हवा में सांस लेने दो

महिलओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिलाने के लिए सरकार 33 फीसदी महिला आरक्षण का नया कानून बनाने पर अमादा है। राज्यसभा में तो यह बिल ध्वनिमत से पास भी हो गया। लेकिन इस बिल के मौजूदा स्वरूप को लेकर विरोधी खेमें में हलचल भी है।

विरोधी खेमा चाहता है कि बिल में पिछड़ी और मुस्लिम महिलाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। इस बात को लेकर अब वे बिल में सिर्फ संशोधन चाहते हैं बल्कि 33 फीसदी बिल में एक अलग से कोटा बनाकर इन महिलाओं को जगह देने की मांग भी कर रहे हैं।

महिलाओं को आरक्षण मिलना भी चाहिए। आखिरकार आज के समय में वे हर काम कर रही हैं जो पुरुष कर रहे हैं। उन्हें और आगे बढ़ाने के लिए..उनके अंदर की दबी शक्ति को बाहर निकालने के लिए..राजनीतिक क्षेत्र में सहभागिता करने के लिए बिल का होना तो जरूरी हो गया था। इससे सिर्फ महिलाओं को हौसला मिलेगा बल्कि अब बड़ी संख्या में महिलाएं गांवों से भी निकलकर सामाजिक दायित्वों में सहभागिता करेंगी।

वैसे आज के समय को देखा जाए तो भी हमारे देश की महिला राष्ट्रपति महिला, किसी पार्टी (कांग्रेस) की अध्यक्ष महिला, रेल मंत्री महिला, लोकसभा स्पीकर महिला, लोकसभा में विपक्ष की नेता महिला, यूपी की मुख्यमंत्री महिला का डंका बज रहा है। ऐसे में बिल के जाने पर तो अब महिलाओं को और ज्यादा प्रोत्साहन और एक नई शक्ति मिलेगी।

इतनी शक्ति..इतना फायदा की बात तो हम कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ कुछ महिला वर्ग को उनकी हदें समझाई जा रही हैं। यह बात किसी और वर्ग की नहीं बल्कि मुसलमान महिलाओं के लिए हैं। इनके घर के मालिकों को अब यह डर सता रहा है कि आरक्षण का अधिकार मिल जाने पर हम तो घर में कैद हो जाएंगे, हमारे घर की महिलाएं हमसे कहीं आगे निकल जाएंगी।

इसी डर को देखते हुए पहले भी कई बार मुस्लिम महिलाओं को उनके बाहर निकलने, समाज में सक्रिय योगदान पर फतवा तक लगा दिया गया है। दूसरी तरफ महिलाओं को जंजीरों में बांधने के लिए शिया धर्म गुरू कल्‍बे जव्‍वाद ने तो यह तक कह डाला इस्लाम में महिलाओं को सिर्फ अच्छे नस्ल के बच्चा पैदा करने को कहा गया है। घर की चाहरदीवारी के अंदर रहकर उन्हें सिर्फ परिवार की देखभाल का अधिकार हैं। राजनीति और घर के बाहर का हर काम पुरुषों को ही करने का हक है।

आरक्षण पर बिलखते हुए उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े मदरसे नदवा-उल-उलेमा के प्रमुख मौलाना सर्रदुर रहमान आजमी नदवी ने तो मुस्लिम महिलाओं को कड़ी ताकीद दे डाले हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति करना सिर्फ पुरुषों का काम हैं, इस्लाम में महिलाओं को लोगों के बीच आकर किसी बात को कहने की सख्त मनाही है। मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्लाम में सिर्फ घर की देखभाल करने को कहा गया है। नदवी साहब ने तो यहां तक कह डाला कि अगर मुस्लिम महिलाओं को राजनीति और सामाजिक कार्य करना है तो वे मर्द बन जाएं।

इन मौलवियों की ऐसी घटिया बयानबाजी सुनकर तो यही लगता है कि ये लोग अभी भी पुरानी और रूढीवादी विचारधारों पर जिंदा हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी देखकर इन्हें शर्म नहीं आती कि यहां पर महिलाओं को किस तरह से अधिकार दिए गए हैं। बड़े से बड़ा पद भी यहां की महिलाओं ने संभालकर दुनिया को दिखा दिया की वे हम बुर्का जरूर पहनती हैं लेकिन हम किसी मर्द से कम नहीं हैं। ऐसे में हमारे यहां मुस्लिम महिलाओं के पैरों में जंजीर बांधना कितना सही है। कब तक ये महिलाएं बुर्का और बच्चा पैदा करने की मशीन बनी रहेंगी। दुनिया कहां से कहां जा रही है लेकिन हमारे मौलाना भाई अपनी वही घिसीपिटी और पुराने समाजिकता की दुहाई देते रहते हैं।

मौलवी साहब महिलाओं को खुली हवा में सांस लेने दो, उनके पैरों को मत बांधों। हर महिला की तरह इन्हें भी समाज और देश के विकास में हिस्सा लेने दो। पुरानी विचारधारा से निकलकर देश-दुनिया में क्या हो रहा है देखो। देश में स्वतंत्रा का अधिकार है, हर किसी को रहने खाने, नौकरी करने, कहीं भी आने जाने का अधिकार पहले से ही हैं। ऐसे में महिलाओं के खिलाफ फतवा जारी करके उन्हें कैद करने की कोशिश भविष्य में हमारे लिए घातक साबित हो सकती है।

Saturday, March 13, 2010

IPL-3 दर्शकों को चाहिए सेक्सी शॉट्स

मुंबई. आईपीएल सीजन तीन का पहला मैच, हर साल की तरह इस बार भी खूब ताम झाम के साथ शुरु हुआ। विदेशी सिंगर, बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का रोमांटिक डांस और मैदान पर चीयर लीडर्स का जलवा। पूरे स्टेडियम में दर्शकों के हो हल्ले के बीच कोलकता नाईट राइडर्स और डेक्कन चार्जर्स में खेला गया पहला मैच काफी रोमांचक और दिलचस्प रहा।

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी कोलकता की टीम का शुरुआती प्रदर्शन तो कुछ खास नहीं था लेकिन जैसे ही श्रीलंका के खिलाड़ी मैथ्यूज और इंग्लैंड के ओवेश शाह ने अपनी टीम का स्कोर बढ़ाना चालू किया तो दर्शकों में अलग ही रोमांच शुरु हो गया। ऐसा रोमांस और ऐसी डिमांड तो मैने आज तक नहीं देखी थी।

अभी तक स्टेडियम में बैठे दर्शक अपने प्रिय खिलाड़ियों से चौके-छक्कों, शतक, हाफ सेंचुरी, वेलडन जैसे तमाम पोस्टर लहराकर अपनी मांग रखते हैं लेकिन कल के मैच में दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों से कुछ अलग ही डिमांड की। हालांकि यह डिमांड मेरी समझ से परे हैं। मैथ्यूज और शाह जब क्रीज पर थे उस समय दर्शक उनसे सेक्सी शॉट्स लगाने की मांग कर रहे थे।

सेक्सी शॉट्स की मांग तो दर्शकों ने कर दी लेकिन रात भर मैं यह सोचता रहा कि आखिर यह सेक्सी शॉट्स होती कैसी है। यह किस तरह से खिलाड़ी खेलता है। लेकिन यह मैं सिर्फ सोचता ही रहा, पूरी तरह से अनुमान नही लगा पाया कि यह शॉट्स कैसा होता है।

दूसरे दिन ऑफिस आकर एक दोस्त ने इस सेक्सी शॉट्स की बारीकियों को बताया। उसने बताया कि एक ऐसा शॉट्स जिसपर चीयर लीडर्स झूमने और नाचने लगें।

Tuesday, March 9, 2010

महिलाओं की जय हो...

कुछ लोगों के विरोध के बावजूद राज्यसभा में ध्वनिमत से महिला आरक्षण बिल पास हो गया। बिल पास होते ही भारत में महिलाओं को और आगे बढ़ने का रास्ता मिल गया।

मुलायम-लालू और शरदयादव के उग्र विरोध के बाद भी राज्यसभा में भारी बहुमत के साथ सिर्फ बिल पास हो गया बल्कि विपक्षी दल बीजेपी ने महिलाओं को बधाई भी दी।

बिल पास होने के साथ ही पूरे भारत में जश्न का माहौल छा गया है और इसी के साथ ही आज का दिन इतिहास में दर्ज हो गया है। अब महिलाओं को सिर्फ पुरुषों के बराबर चलने का हक मिल गया है बल्कि राजनीति में भी वे बढ़चढ़कर हिस्सा ले सकेंगी।

आजाद हिंदुस्तान की यह सबसे बड़ी जीत है जिसमें महिलाओं को इतना बड़ा सम्मान मिला है। प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के प्रयासों की आज जीत हो गई है। हालांकि उनके शासन काल में ऐसा नहीं हो सका लेकिन भाजपा शासन काल में भी महिला बिल पारित कराने की पुरजोर कोशिश की गई और अंततः कांग्रेस शासन में आज वह दिन गया जब महिलाओं का कद और ऊंचा हो गया है।
पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण तो दिया जा चुका है लेकिन अब राजनितिक रणक्षेत्र में भी महिलाएं पुरुषों की बराबरी करती हुई नजर आएंगी।

महिला बिल पास कराने में देश को शर्मसार भी होना पड़ा। यहां राज्यसभा में मुलायम और लालू यादव के सात सांसदों ने ऐसा कारनामा किया जिससे सिर्फ देश के दामन पर दाग लगा बल्कि इनकी घटिया हरकतों को पूरे विश्व ने देखा। इन सांसदों ने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर बिल का विरोध करते हुए उनके उपर पर्चियां तक फाड़ी थी।

फिलहाल आज का दिन भारत और यहां की महिलाओं के लिए किसी दीवाली के त्योहार से कम नहीं है। हर तरफ जश्न और नगाड़ों की आवाज से उत्साह और दुगुना हो गया है।

Sunday, March 7, 2010

धर्म की आड़ में ये क्या हो रहा है

देश में मौजूदा समय में चल रहे ढोंगी बाबाओं के मायाजाल से पूरे संत समाज पर बदनुमा दाग लग गया है। धर्म की आड़ में ये बाबा लोगों को सिर्फ पैसा कमाने का साधन बना रखा है बल्कि उनका शोषण भी शुरु कर दिया है। देश मे एक के बाद एक बाबाओं की काली करतूतों का जिस तरह से पर्दाफाश हुआ उसे देखकर लोगों में संत समाज से विश्वास उठता जा रहा है।

धर्म के नाम पर अश्लीलता करने वाले इच्छाधारी बाबाओं के खिलाफ हालांकि प्रशासन के रूख कुछ कड़े हो गए हैं लेकिन इतना भर कर देने से क्या लोगों को अब धर्म के नाम पर बरगलाया नहीं जाएगा। जिस तरह से प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में खाने के नाम पर मौत बांटी गई उसे देखकर यही लगता है कि आज यदि देश में इतनी गरीबी होती तो क्या आश्रम में बड़ी संख्या में लोग बर्तन और खाना लेने गए होते।

आश्रम में 63 लोग मौत के गाल में समा गए लेकिन कृपालु महाराज ने कहा हमने कुछ नहीं किया यह सब प्रभू का किया धरा है। अब बताओ किसी भी संत-महात्मा को किसने यह अधिकार दिया कि लोगों की जान के साथ पैसा और बर्तन बांटकर खिलवाड़ करें।

इसके पहले दिल्ली में पकड़े गए इच्छाधारी बाबा और केरल के नित्यानंद स्वामी ने तो सारी हदें पार कर दी। ये बाबा धर्म की चादर ओढ़कर अश्लीलता करते हुए पकड़े गए। इच्छाधारी बाबा पर पुलिस ने मकोका लगा दिया तो नित्यानंद अपने किए पर सफाई दे रहे हैं। इसके भी पहले संत आसाराम बापू के आश्रम में तंत्र-मंत्र करने का भंड़ाफूट चुका है। इनके आश्रम में चार मासूम बच्चों के शव बरामद हुआ तो दूसरी तरफ इन पर हत्या का मामला भी दर्ज हुआ।

इन सभी घटनाओं के बाद यही लगता है कि देश में जहां पर एक बड़ा वर्ग गरीबी का दंश झेल रहा है वहीं पर ऐसे ढोंगी बाबाओं का इन पर कहर कब तक जारी रहेगा। भोली-भाली जनता कब तक इन बाबाओं के मकड़जाल में फंसते रहेंगे। जब तक हमारा प्रशासन इनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी तब तक ऐसे बाबाओं की काली करतूतें सामने आती ही रहेंगी।

Friday, March 5, 2010

कलयुगी बाबाओं पर भगवान का कहर

विशेषः क्या भगवान अपने भोले-भाले भक्तो को बाबाओं और स्वामियों से दूर रहने का संकेत दे रहे हैं। हमारे देश में लोगों की धर्म पर अथाह आस्था है या यह कह सकते हैं कि धार्मिकता हमारी पहचान है।

शायद हमारे सीधे-साधे लोगों की इसी असीम भक्ती को बाबाओं और स्वामियों ने समझा और फैला दिया भक्ति के नाम पर मायाजाल। लेकिन अब लगता है कि भगवान के नाम पर लोगों को पाठ पढ़ाकर अपना सम्राज्य स्थापित करने वाले इन्हीं बाबाओं पर भगवान की नजर टेढ़ी हो गई है।

हाल ही में रह रहकर ऐसी घटनाएं घट रही हैं जिनसे यह प्रतीत होता है कि स्वयं भगवान अब लोगों को स्वामियों से दूर रहने की हिदायत देना चाहते हैं। जब हम भगवान में भक्ती रखते हैं तो हमें यह भी समझना होगा की जो हो रहा है उसके पीछे कोई कोई कारण जरूर छिपा है।

आज उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में संत कृपालु महाराज के आश्रम में जिस तरह से गरीबों की मौत का ताड़व हुआ उसको देखकर तो यही लगता है कि साधू-संतों पर गृह-नक्षत्र जरा भी मेहरबान नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश में कृपालू जी महाराज के आश्रम में मौत का खेल

कृपालु महाराज के आश्रम में उनकी पत्नी की बरसी आयोजन किया जा रहा था जिसमें बड़ी संख्या में गरीब लोग खाना खाने के लिए आए हुए थे लेकिन उन्होंने यह नहीं सोचा था कि मौत की भूख उन्हें बुला रही है। इतना बड़ा आयोजन करने वाले कृपालु महाराज के आश्रम में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सब शून्य था। उनके अपने सुरक्षाकर्मी ही यहां पर थे जबकि भीड़ हजारों की संख्या में थी लेकिन भगदड़ मचने पर गरीब लोगों की भूख अंदर ही रह गई।

ढोंगी बाबा का सेक्स रैकेट

दिल्ली के इच्छादारी बाबा के सेक्स रैकेट ने धर्म के नाम पर ऐसे गोरखधंधे का पर्दाफाश किया जिससे किसी धार्मिक भक्त की भावनाएं आहत हो जाएं। इस बाबा का नाम इच्छाधारी बाबा उर्फ स्वामी भीमानंद है। दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए इच्छाधारी संत स्वामी भीमानंद जी महाराज का सैक्स रैकेट का जाल सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं बल्कि भारत के कई राज्यों में फैला हुआ था। दिन में भगवा चोला पहनने वाला यह स्वामी रात को चोला त्याग कर जींस, टी-शर्ट पहन लेता और प्रवचन छोड़ सेक्स के धंधे में लग जाता। संत के रैकेट में 500 लड़कियां है जो इसके माध्यम से सेक्स के धंधे में लिप्त पाई गई।

दक्षिण के बाबा का सेक्स वीडियो

बुधवार को तमिलनाडु के प्रसिद्ध स्वामी परंमहंस का एक सिने अभिनेत्री के साथ वीडियो प्रसारित हुआ। कनार्टक के स्वामी परमहंस नित्यानंद की अश्लील सीडी एक चैनल पर क्या आई, पूरे दक्षिण भारत में बवाल खड़ा हो गया। कनार्टक पुलिस ने नित्यानंद के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। वहीं, नित्यानंद ने अदालत में एक याचिका दायर कर सीडी के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की है।

डेरा सच्चा सौद के अनुयायियों का गुण्डाराज

बाबा राम रहीम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने के बाद उनके अनुयायी हिंसा पर उतारु हो गए और समस्त पंजाब और हरयाणा में उन्होंने हिंसा फैलाकर सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया। सवाल खड़ा होता है कि शांति और सच का संदेश सुनाने वाले अनुयायी हिंसा पर उतारु कैसे हो गए। या उनकी भक्ती झूठी थी या बाबा का ज्ञान।

प्रसिद्ध गुरू आसारामजी बापू के खिलाफ भी कई मामले

आध्यात्मिक गुरू आसारामजी बापू पर भी तमाम तरह के आरोप लगते रहे है। ऐसे संकेत देकर क्या भगवान लोगों को आगाह करना चाहते है कि अब बहुत हुई मेरे नाम पर धोखाधड़ी, बंद करो यह नौटंकी।

एक बाबा की सेक्स सीडी, दूसरे का सेक्स रैकेट, अन्य पर हत्या का आरोप और अब स्वामी के मंदिर में हादसा। वैसे तो होनी को कोई नही टाल सकता, लेकिन इन सब घटनाओं का एक के बाद एक होना शायद दर्शाता है कि बाबाओं पर ग्रह-नक्षत्र भारी है।

यौनशोषण के आरोपी लाल सांई ने किया सरेंडर

मध्य प्रदेश में संत लाल सांईं ने लोगों के दिलों में अच्छी खासी जगह बना रखी थी। ये सिंधियों के आत्यात्मिक गुरू थे। लेकिन संत लाल सांई पर 18 अक्टूबर 2008 को उन पर पर बीई की एक छात्रा ने यौनशोषण का आरोप लगाया था, जिसके बाद से ही वह फरार थे। सीआईडी को भी लाल सांई की तलाश थी वहीं कोर्ट ने जल्दी ही लाल सांई को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे।