प्रधानमंत्री जी ने सफाई अभियान की शुरुआत तो जोर शोर से कर दी। अखबार से लेकर टीवी चैनलों तक में आज सफाई अभियान को लेकर भयंकर विज्ञापन देखने को मिले...। आज खबरें कम, सफाई पर रंग-बिरंगे विज्ञापन को देखकर दिमाग भन्ना गया। बाहर निकलने पर भी हर जगह सफाई के बारे में चर्चाएं सुनने को मिलीं रही हैं...। अच्छा है...।
चलो कम से कम एक दिन तो थोड़ी गंदगी कम होगी...। लेकिन आज के इस भयंकर सफाई अभियान को देखकर मेरे जहन में एक सवाल बार-बार उठ रहा है...क्या हर दिन ऐसा ही एग्रेसिव सफाई कैंपेन होगा ? क्या हर दिन हमारे नेता ऐसे ही झाड़ू उठाएंगे ? क्या AC में बैठने वाले अधिकारीगण सफाई का जायजा लेने निकलेंगे धूम में निकलेंगे ? क्या नगर निगम के ठेकेदार सफाईकर्मियों से पैसा लेना बंद कर देंगे? (कॉलोनियों में घूमने वाले सफाई कर्मी अपने ठेकेदारों को कुछ पैसा देते हैं, जिससे उन्हें हर दिन कॉलोनियों में नहीं आना होता है।)
यह डर इसलिए है कि क्योंकि इतिहास गवाह रहा है...। जब-जब ऐसे बड़े कार्य का शुभारंभ हुआ है...तब-तब यह देखने को मिला है कि नये काम के लिए फीता तो कट जाता है लेकिन जिस मकसद के लिए यह होता है वो वहीं का वहीं रह जाता है। चंद दिनों तक तो सबकुछ रफ्तार से होता है, फिर टांय..टांय फिस्स हो जाता है। इसमें मोदी, नेता या अधिकारियों के झाडू उठाने से कुछ नहीं उखड़ जाएगा। चाहकर भी ये लोग देश को स्वच्छ नहीं कर पाएंगे। क्योंकि हमारे नेचर में ही है गंदगी करना...। ट्रेन देख लीजिए। बस स्टॉप देख लीजिए। सुलभशौचाल देख लीजिए...। सरकारी अस्पताल के टॉयलेट देख लीजिए...। ऐसे ही बहुत सारी जगहें हैं जहां पर सफाई को लेकर बड़ी-बड़ी बातें लिखी रहती हैं, लेकिन हम जस्ट उल्टा ही करते हैं। ट्रेन के स्टेशन पर खड़ी होने पर टॉयलेट के अंदर लिखा होता है कि कृपया इस समय शौचालय का प्रयोग न करें...। लेकिन क्या करें, हमारा नेचर ही कुछ ऐसा है कि साला प्रेशर ही वहीं बनता है...।
मोदी जी, लाख नहीं, करोड़ टॉयलेट बनवा, फिर भी आप गंदगी को साफ नहीं कर पाएंगे। इंडियन लोगों की मानसिकता को आप नहीं बदल पाएंगे। हां। देश में आप जरूर दो-चार दस शहरों को बदल देंगे। लेकिन 125 करोड़ की आबादी वाले देश को गंदगी मुक्त नहीं बना पाएंगे। आपका प्रयास अच्छा है। लेकिन इसको लेकर आपको कुछ और ठोस कदम उठाने होंगे। पश्चिमी देश गवाह है...।
हमें अगर गंदगी को जड़ से खत्म करना है तो हमें पश्चिमी देशों को फॉलो करना होगा, नहीं तो सफाई का यह अभियान एक दिन से ज्यादा नहीं चल पाएगा। पश्चिमी देश मतलब वहां के कानून को हमारे यहां पर भी लागू होना चाहिए। बाहर थूकने और कचरा फेकने पर भी जुर्माना है...। वैसा ही सिस्टम हमारे यहां होना चाहिए...। जब तक डर नहीं होगा, तब तक मुझे नहीं लगता है कि सफाई के इस अभियान को सार्थक किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, इस कानून का डर दूर-दराज के गांव-गांव तक पहुंचाना होगा...तभी तो भारत एक स्वच्छ भारत बन पाएगा।
यह डर इसलिए है कि क्योंकि इतिहास गवाह रहा है...। जब-जब ऐसे बड़े कार्य का शुभारंभ हुआ है...तब-तब यह देखने को मिला है कि नये काम के लिए फीता तो कट जाता है लेकिन जिस मकसद के लिए यह होता है वो वहीं का वहीं रह जाता है। चंद दिनों तक तो सबकुछ रफ्तार से होता है, फिर टांय..टांय फिस्स हो जाता है। इसमें मोदी, नेता या अधिकारियों के झाडू उठाने से कुछ नहीं उखड़ जाएगा। चाहकर भी ये लोग देश को स्वच्छ नहीं कर पाएंगे। क्योंकि हमारे नेचर में ही है गंदगी करना...। ट्रेन देख लीजिए। बस स्टॉप देख लीजिए। सुलभशौचाल देख लीजिए...। सरकारी अस्पताल के टॉयलेट देख लीजिए...। ऐसे ही बहुत सारी जगहें हैं जहां पर सफाई को लेकर बड़ी-बड़ी बातें लिखी रहती हैं, लेकिन हम जस्ट उल्टा ही करते हैं। ट्रेन के स्टेशन पर खड़ी होने पर टॉयलेट के अंदर लिखा होता है कि कृपया इस समय शौचालय का प्रयोग न करें...। लेकिन क्या करें, हमारा नेचर ही कुछ ऐसा है कि साला प्रेशर ही वहीं बनता है...।
मोदी जी, लाख नहीं, करोड़ टॉयलेट बनवा, फिर भी आप गंदगी को साफ नहीं कर पाएंगे। इंडियन लोगों की मानसिकता को आप नहीं बदल पाएंगे। हां। देश में आप जरूर दो-चार दस शहरों को बदल देंगे। लेकिन 125 करोड़ की आबादी वाले देश को गंदगी मुक्त नहीं बना पाएंगे। आपका प्रयास अच्छा है। लेकिन इसको लेकर आपको कुछ और ठोस कदम उठाने होंगे। पश्चिमी देश गवाह है...।
हमें अगर गंदगी को जड़ से खत्म करना है तो हमें पश्चिमी देशों को फॉलो करना होगा, नहीं तो सफाई का यह अभियान एक दिन से ज्यादा नहीं चल पाएगा। पश्चिमी देश मतलब वहां के कानून को हमारे यहां पर भी लागू होना चाहिए। बाहर थूकने और कचरा फेकने पर भी जुर्माना है...। वैसा ही सिस्टम हमारे यहां होना चाहिए...। जब तक डर नहीं होगा, तब तक मुझे नहीं लगता है कि सफाई के इस अभियान को सार्थक किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, इस कानून का डर दूर-दराज के गांव-गांव तक पहुंचाना होगा...तभी तो भारत एक स्वच्छ भारत बन पाएगा।
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