टीवी पर आ रही फिल्म में प्यार का सीन देख मैंने रिंकू (दोस्त) से पूछा, क्या आज तक किसी लड़की को सेट किया है?
जवाब आया - क्या भैया...क्या पूछ लिया...आपने मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया...। आपके पास पूछने के लिए कुछ और नहीं था। काहे के लिए प्यार की बात छेड़ दी...। अच्छा-खासा फिलम् देख रहे थे...। आप भी न...। काफी ना नुकुर करने के बाद...आखिरकार भाई साब ने वो हसीन प्यार की दर्दनाक कहानी बयां कर ही दी...।
कहानी शुरु...मैं उस समय 10 वीं में पढ़ रहा था। सबकुछ अच्छा चल रहा था...। एक सुबह दोस्तों संग स्कूल जाने के लिए निकला। बीच में रेलवे क्रॉसिंग पड़ता है। उस दिन फाटक बंद था। हम ट्रेन के जाने का इंतजार करने लगे। हमारे बगल में कुछ लड़कियां भी खड़ी थीं। ये मेरे ही स्कूल में पढ़ने वालीं थीं। फाटक खुलते ही लड़कों से पहले लड़कियां आगे बढ़ गईं। यहीं से मेरी दुर्दशा शुरु होने वाली थी...। पता नहीं कैसे आगे जा रही एक लड़की (पूनम) का दुपट्टा जमीन पर घिसट गया और उसपर मेरा पैर पड़ गया। पैर पड़ते ही दुपट्टा नीचे आ गया। लड़की सहसा ठिठक गई। उसको लगा, मैंने उसका दुपट्टा जानबूझकर खींचा है। उस समय उसने घूरकर देखा और चलती बनी...। ऐसा लगा जैसे उसने मन ही मन मुझे सबक सिखाने का अल्टीमेटम दे दिया हो..।
मुझे पता नहीं था कि यह तमतमाहट बाद में काली का रूप धारण कर लेगी। स्कूल में कदम रखते ही वो मेरे पास आई...। कहा-तुमने मेरा दुपट्टा क्यों खींचा। मैं कुछ बोलता, इसके पहले उसने गुस्से से कहा, ''मैं प्रिंसिपल के पास जा रही हूं। तुम्हारी सारी मजनूगिरी अभी निकलवाती हूं। मन कर रहा है तुम्हे चप्पल से मारूं।'' मेरे काफी हाथ-विनती करने पर भी उसका दिल नहीं पसीझा। वो अपनी बात पर कायम थी, मैं अपनी बात पर...। वो एक बार फिर गुस्से से चली गई। मेरी धुकधुकी अब और बढ़ गई थी...। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं...। आव देखा न ताव...बैग उठाकर स्कूल से भाग खड़ा हुआ। शाम तक एक मंदिर में बैठकर पूजा-अर्चना करता रहा कि भगवान पूनम को सद्भुद्दी दे...। स्कूल छूटने के बाद दोस्तों से स्टेटस पता किया। उन्होंने कहा ऐसा कुछ नहीं था...। एक दोस्त ने बताया कि यार तुम्हारी धुकधुकी देखकर पूनम तुमपर इंप्रेस हो गई है...। उसने किसी को कुछ नहीं बताया, उल्टा मजा ले रही थी कि वो कितना डरपोक है। शर्म के मारे मेरा सिर नीचे हो गया। मन ही मन कहा चलो अच्छा हुआ नहीं तो प्रिंसिपल के सामने जलील होना पड़ता। दूसरे दिन भरी क्लास में पूनम बार-बार मुझे ही देख रही थी, मैं चाहकर भी उससे नजरें नहीं मिला पा रहा था...। यह सिलसिला दो-तीन दिन तक चलता रहा...। फिर वही हुआ जिसकी मुझे आशंका थी...। लंच टाइम में पूनम मेरे पास आई और सॉरी बोलने लगी...।
बातचीत का सिलसिला बढ़ गया..। अब लंच साथ में होने लगा। नौबत यहां तक आ गई कि हम दोनों ने एक दूसरे से मोबाइल नंबर तक शेयर कर डाला...। मुझे नहीं पता था कि यह नंबर मेरे गले की फांस बन जाएगी। हर रात बिना बात किए नींद नहीं आती थी। मैसेज से काफी रोमांस भरी बातों का सिलसिला शुरु हो चुका था..। इतना ही नहीं, हम दोनों एक-दूसरे को बहुत पसंद करने लग थे। धीरे-धीरे हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा था, लेकिन मुझे क्या पता था कि यह बात किसी की आंख में गड़ रहा है। हुआ कुछ यूं कि पूनम का पहले एक लड़के से चक्कर चल चुका था, जिसमें दरार पड़ चुकी थी। उसको मेरे और पूनम के गुटुरगूं के बारे में पता चल चुका था। लेकिन मेरे रास्ते में आने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी, क्योंकि स्कूल में मेरे कई दबंग दोस्त थे। वो डर रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर हम दोनों को अलग करने का प्लान भी बना रहा था।
एक दिन उसने मौका देखकर पूनम के भाई (बबलू) को सारी कहानी बयां कर दी। भाई ने पूनम का मोबाइल चेक किया तो मेरे नाम के कई मैसेज मिल गए। वो तमतमाया। पूनम को बुरा-भला कहने के साथ-साथ दो-चार तमाचे भी रसीद कर दिए। लेकिन पूनम ने अपने भाई और परिवार वाले से जो कुछ कहा उसके बारे में मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पूनम ने कहा, वो लड़का हर दिन मुझे परेशान करता है। पता नहीं कहां से मेरा नंबर उसको मिल गया। हर दिन वो मुझे इस तरह के मैसेज करता है। मैं उसको नहीं जानती। वो मेरे पीछे पड़ा हुआ है। कुल मिलाकर प्यार के उगते पौधे को एक झटके में जड़ से उखाड़कर फेंक दिया। खुद पाकसाफ बन गई और मुझे फिल्म का विलेन बना दिया।
इतना तक तो ठीक था...। जिस रात को पूनम ने मेरे खिलाफ जहर उगला, उसके दूसरे दिन मेरे लिए आफत बनकर आ गई। बबलू गुंड़ो की गैंग तैयार कर स्कूल पहुंच गया। संयोग अच्छा था कि मैं अभी रास्ते में ही था। अचानक मेरे दोस्त का फोन आया। उसने सारा वाकया बता दिया। मैं उसी वक्त वापस लौट पड़ा। लेकिन वापस लौटते समय मेरे दिमाग में डॉन भाईयों की खुराफात घूम रहा था। मुझे लगा कि आज नहीं तो कल ये लोग मुझे निपटा के ही दम लेंगे। छोड़ेंगे नहीं। मैंने घर की तरफ जाने वाला रास्ता छोड़ दिया। मैं शहर के पार्षद के पास जा पहुंचा। वो एक दबंग पार्षद थे। मुझे अच्छी तरह से जानते थे।
सबसे बड़ी बात वो अपनी जाति के थे। जाते ही पैर पकड़कर रोना शुरु कर दिया। बचा लो भैया..। बचा लो भैया...। वो लोग मुझे बहुत पीटेंगे...। भैया ने मुझे उठाया और सारा माजरा समझा। मैंने उनको बताया कि किस तरह से मुझे फंसाया जा रहा है। अपना मोबाइल भी उनको दिखाया, जिसमें पूनम के सारे मैसेज पड़े थे। आग दोनों तरफ लगी हुई थी। फंस मैं अकेला रहा था। पार्षद जी ने मुझे समझा। अपने चार-पांच गुर्गों को इकट्ठा किया और मुझे लेकर स्कूल पहुंच गए। वहां पर अब भी भाई लोग मेरा इंतजार कर रहे थे। पार्षद जी सबको जानते थे। उनको देखकर सभी लोग इनके पैर छूने लगे। यह देख मेरी धुकधुकी थोड़ी कम हुई।
पार्षद ने उनको बताया कि यह मेरा छोटा भाई है। गलती इसकी नहीं है, आपकी बहन की भी है। मेरा मोबाइल लेकर उन्होंने भाई लोगों को दिखाया। और उनसे पूछा कि अब बताओ क्या अकेले सिर्फ इसी की गलती है। पार्षद जी ने कहा पहले अपनी बहन को समझाओ। और आज के बाद मेरा भाई आपकी बहन से कोई संपर्क नहीं रखेगा, इसकी गारंटी मैं देता हूं। भाई लोगों ने भी हाथ जोड़कर माफी मांगी और चलते बने। उसी दिन से मैंने कान पकड़ लिया कि किसी की बहन से चोंचलेबाजी नहीं करूंगा। फिर कभी प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ा ही नहीं। लड़कियों से कोसो दूरी बनाकर रखता हूं।
यहीं हुआ कहानी का द एंड। मुझे भी लगा ऐसा खौफनाक मंजर देखने के बाद किसी की हिम्मत नहीं होगी कि वो प्यार की बंशी बजाएगा।
जवाब आया - क्या भैया...क्या पूछ लिया...आपने मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया...। आपके पास पूछने के लिए कुछ और नहीं था। काहे के लिए प्यार की बात छेड़ दी...। अच्छा-खासा फिलम् देख रहे थे...। आप भी न...। काफी ना नुकुर करने के बाद...आखिरकार भाई साब ने वो हसीन प्यार की दर्दनाक कहानी बयां कर ही दी...।
कहानी शुरु...मैं उस समय 10 वीं में पढ़ रहा था। सबकुछ अच्छा चल रहा था...। एक सुबह दोस्तों संग स्कूल जाने के लिए निकला। बीच में रेलवे क्रॉसिंग पड़ता है। उस दिन फाटक बंद था। हम ट्रेन के जाने का इंतजार करने लगे। हमारे बगल में कुछ लड़कियां भी खड़ी थीं। ये मेरे ही स्कूल में पढ़ने वालीं थीं। फाटक खुलते ही लड़कों से पहले लड़कियां आगे बढ़ गईं। यहीं से मेरी दुर्दशा शुरु होने वाली थी...। पता नहीं कैसे आगे जा रही एक लड़की (पूनम) का दुपट्टा जमीन पर घिसट गया और उसपर मेरा पैर पड़ गया। पैर पड़ते ही दुपट्टा नीचे आ गया। लड़की सहसा ठिठक गई। उसको लगा, मैंने उसका दुपट्टा जानबूझकर खींचा है। उस समय उसने घूरकर देखा और चलती बनी...। ऐसा लगा जैसे उसने मन ही मन मुझे सबक सिखाने का अल्टीमेटम दे दिया हो..।
मुझे पता नहीं था कि यह तमतमाहट बाद में काली का रूप धारण कर लेगी। स्कूल में कदम रखते ही वो मेरे पास आई...। कहा-तुमने मेरा दुपट्टा क्यों खींचा। मैं कुछ बोलता, इसके पहले उसने गुस्से से कहा, ''मैं प्रिंसिपल के पास जा रही हूं। तुम्हारी सारी मजनूगिरी अभी निकलवाती हूं। मन कर रहा है तुम्हे चप्पल से मारूं।'' मेरे काफी हाथ-विनती करने पर भी उसका दिल नहीं पसीझा। वो अपनी बात पर कायम थी, मैं अपनी बात पर...। वो एक बार फिर गुस्से से चली गई। मेरी धुकधुकी अब और बढ़ गई थी...। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं...। आव देखा न ताव...बैग उठाकर स्कूल से भाग खड़ा हुआ। शाम तक एक मंदिर में बैठकर पूजा-अर्चना करता रहा कि भगवान पूनम को सद्भुद्दी दे...। स्कूल छूटने के बाद दोस्तों से स्टेटस पता किया। उन्होंने कहा ऐसा कुछ नहीं था...। एक दोस्त ने बताया कि यार तुम्हारी धुकधुकी देखकर पूनम तुमपर इंप्रेस हो गई है...। उसने किसी को कुछ नहीं बताया, उल्टा मजा ले रही थी कि वो कितना डरपोक है। शर्म के मारे मेरा सिर नीचे हो गया। मन ही मन कहा चलो अच्छा हुआ नहीं तो प्रिंसिपल के सामने जलील होना पड़ता। दूसरे दिन भरी क्लास में पूनम बार-बार मुझे ही देख रही थी, मैं चाहकर भी उससे नजरें नहीं मिला पा रहा था...। यह सिलसिला दो-तीन दिन तक चलता रहा...। फिर वही हुआ जिसकी मुझे आशंका थी...। लंच टाइम में पूनम मेरे पास आई और सॉरी बोलने लगी...।
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एक दिन उसने मौका देखकर पूनम के भाई (बबलू) को सारी कहानी बयां कर दी। भाई ने पूनम का मोबाइल चेक किया तो मेरे नाम के कई मैसेज मिल गए। वो तमतमाया। पूनम को बुरा-भला कहने के साथ-साथ दो-चार तमाचे भी रसीद कर दिए। लेकिन पूनम ने अपने भाई और परिवार वाले से जो कुछ कहा उसके बारे में मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पूनम ने कहा, वो लड़का हर दिन मुझे परेशान करता है। पता नहीं कहां से मेरा नंबर उसको मिल गया। हर दिन वो मुझे इस तरह के मैसेज करता है। मैं उसको नहीं जानती। वो मेरे पीछे पड़ा हुआ है। कुल मिलाकर प्यार के उगते पौधे को एक झटके में जड़ से उखाड़कर फेंक दिया। खुद पाकसाफ बन गई और मुझे फिल्म का विलेन बना दिया।
इतना तक तो ठीक था...। जिस रात को पूनम ने मेरे खिलाफ जहर उगला, उसके दूसरे दिन मेरे लिए आफत बनकर आ गई। बबलू गुंड़ो की गैंग तैयार कर स्कूल पहुंच गया। संयोग अच्छा था कि मैं अभी रास्ते में ही था। अचानक मेरे दोस्त का फोन आया। उसने सारा वाकया बता दिया। मैं उसी वक्त वापस लौट पड़ा। लेकिन वापस लौटते समय मेरे दिमाग में डॉन भाईयों की खुराफात घूम रहा था। मुझे लगा कि आज नहीं तो कल ये लोग मुझे निपटा के ही दम लेंगे। छोड़ेंगे नहीं। मैंने घर की तरफ जाने वाला रास्ता छोड़ दिया। मैं शहर के पार्षद के पास जा पहुंचा। वो एक दबंग पार्षद थे। मुझे अच्छी तरह से जानते थे।
सबसे बड़ी बात वो अपनी जाति के थे। जाते ही पैर पकड़कर रोना शुरु कर दिया। बचा लो भैया..। बचा लो भैया...। वो लोग मुझे बहुत पीटेंगे...। भैया ने मुझे उठाया और सारा माजरा समझा। मैंने उनको बताया कि किस तरह से मुझे फंसाया जा रहा है। अपना मोबाइल भी उनको दिखाया, जिसमें पूनम के सारे मैसेज पड़े थे। आग दोनों तरफ लगी हुई थी। फंस मैं अकेला रहा था। पार्षद जी ने मुझे समझा। अपने चार-पांच गुर्गों को इकट्ठा किया और मुझे लेकर स्कूल पहुंच गए। वहां पर अब भी भाई लोग मेरा इंतजार कर रहे थे। पार्षद जी सबको जानते थे। उनको देखकर सभी लोग इनके पैर छूने लगे। यह देख मेरी धुकधुकी थोड़ी कम हुई।
पार्षद ने उनको बताया कि यह मेरा छोटा भाई है। गलती इसकी नहीं है, आपकी बहन की भी है। मेरा मोबाइल लेकर उन्होंने भाई लोगों को दिखाया। और उनसे पूछा कि अब बताओ क्या अकेले सिर्फ इसी की गलती है। पार्षद जी ने कहा पहले अपनी बहन को समझाओ। और आज के बाद मेरा भाई आपकी बहन से कोई संपर्क नहीं रखेगा, इसकी गारंटी मैं देता हूं। भाई लोगों ने भी हाथ जोड़कर माफी मांगी और चलते बने। उसी दिन से मैंने कान पकड़ लिया कि किसी की बहन से चोंचलेबाजी नहीं करूंगा। फिर कभी प्यार-व्यार के चक्कर में पड़ा ही नहीं। लड़कियों से कोसो दूरी बनाकर रखता हूं।
यहीं हुआ कहानी का द एंड। मुझे भी लगा ऐसा खौफनाक मंजर देखने के बाद किसी की हिम्मत नहीं होगी कि वो प्यार की बंशी बजाएगा।
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