24 फरवरी को ग्वालियर में मास्टर ब्लास्टर का कारनामा तो आपने देखा ही होगा। अब बताइए ऐसा कारनामा करने वाले को भगवान नहीं तो और क्या कहेंगे। इतनी उम्र के पड़ाव पर पहुंचकर शुरुआत से लेकर अंत तक बिना किसी बैशाखी का सहारा लिए 200 रन तक पहुंच जाना और वो भी नाबाद। यह तो कोई आम इंसान कर ही नहीं सकता। कुछ न कुछ चमत्कारिक शक्ति तो सचिन में है ही।
सचिन के चौके-छक्कों की बारिश से उनके करीबियों ने तो दांतो तले उंगलियां ही दबा ली होगी। उनके करीबी ही नहीं सचिन और क्रिकेट के जितने भी प्रशंसक और प्रेमी है सब हैरत में पड़ गए कि यह बूढ़ा होता शेर अभी भी गेंदबाजों की ऐसी धुनाई कर रहा है जैसे अभी उनकी उम्र 18 की हुई हो।
18 की उम्र में जिस तरह से एक युवा के अंदर जोश और जज्बा रहता है ठीक उसी तरह का जोश और जुनून मास्टर ब्लास्टर में दिखा। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि अभी भी उनमें बहुत क्रिकेट बाकी है। हर रिकॉर्ड को वे जब चाहें तोड़ सकते हैं। सचिन के इस दोहरे शतक पर पूरी दुनिया को भारत और मास्टर ब्लास्टर पर और गर्व होने लगा कि काश ऐसा खिलाड़ी मेरे देश में भी होता।
द. अफ्रीकी गेंदबाज उस दिन पता नहीं किसका मुंह देखकर उठे थे और यह दिन शायद उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा लेकिन सचिन की इस कामयाबी को पूरे विश्व ने सेलिब्रेट किया। देश में उन्हें इतनी प्रशंसा नहीं मिली जितनी विदेशों में। खैर इस खिलाड़ी को जितना सम्मान और जितनी प्रशंसा की जाए सब बेकार है क्योंकि सचिन इन सभी खिताबों से उपर उठ चुके हैं। उनके लिए कोई भी पुरस्कार तुच्छ है।
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