Monday, November 28, 2011

'डीजे' लाओ तभी होगा बिटिया का 'ब्याह'

आजकल शादी-ब्याह में होने वाला तामझाम बड़े घरों तक ही सीमित नहीं रहा। जयमाल, बफर सिस्टम, ऑरक्रेस्टा, बैंडबाजा, रोड-लाइट, संगीत कार्यक्रम और डीजे की व्यवस्था अब किसी तरह दो वक्त की रोटी जुगाड़ने वाला भी करने लगा है। इतना ही नहीं शादी-ब्याह में मिलने वाला सामाना जैसे-गाड़ी, टीवी, घड़ी, गांव में बांटने के लिए ढेर सारी मिठाई, और अन्य ढेर सारे सामान की लिस्ट भी आम घरों में बनने लगी है।

तेल भराने का पैसा नहीं लेकिन दहेज में गाड़ी, सोने की मोटी जंजीर, खिलाने-पिलाने (शराब) की धांसू व्यवस्था अब हर घर की पहली च्वाइस बन गई है। कुल मिलाकर अब वो कहावत-जिसमें जितना चादर हो उतना ही पैर फैलाना चाहिए, ओल्ड इज बोल्ड हो गया है, अब तो चादर फट जाए लेकिन पैर बाहर निकलने दो परवाह नहीं। फलां की बेटी की शादी में दूल्हा घोड़े पर आया, डीजे भी था, जबरदस्त मजमा लगा। बस इसी कंपटीशन के पीछे आम लोग पड़ गए हैं। ऐसी प्रतियोगिता अभी तक सिर्फ नौकरी में देखी जा रही थी लेकिन अब शादी-ब्याह भी इससे अछूता नहीं रहा।

घर जाकर इस बार दहेज का बड़ा ही रोचक चेहरा देखने को मिला। गांव के बीच कुछ बनबासी (जिन्हें गांव में सबसे निम्न वर्ग का दर्जा प्राप्त है) रहते हैं, जो रोज गढ्ढा खोदो-रोज पानी पियो की तर्ज पर जीते हैं। न कोई बैंक अकाउंट, न पक्का मकान, सर्दी हो या गर्मी इनके बदन पर ठीक से कपड़ा तक नहीं होता। काम न होने पर ये लोग खेत-खेत जाकर चूहा मारते हैं और शाम को उसे पकाकर छप्पर के नीचे रात गुजारते हैं, सबसे बड़ी बात इनका छप्पर साल में कम से कम चार बार बनता-बिगड़ता है।

ग्राम प्रधान ने पक्का मकान बनाने के लिए कई प्रयास भी किए लेकिन ये लोग जगह को लेकर आपस में भी महाभारत खड़ा कर देते हैं। स्कूल में इनके बच्चों का नाम भी दर्ज है लेकिन बच्चों को लेने के लिए खुद गुरुजी को इनके घर अप-डाउन करना पड़ता है। गांव के अन्य बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ने जाते हैं लेकिन ये भाई लोग बच्चों को स्कूल इसलिए नहीं भेजते कि बड़ो के साथ रहकर इनके बच्चे बिगड़ जाएंगे। यह तो हो गया इनका रहन-सहन।

अब देखिए ये भाई लोग गांव में होने वाले शादी-ब्याह पर किस तरह से टकटकी लगाये रहते हैं। रामचरन की बेटी की शादी देख ये पगला ही गए। हुआ कुछ यूं कि रामचरन की बेटी की शादी धूमधाम से हुई। लड़का घोड़े पर आया, आतिशबाजी हुई, डीजे की धुन पर थिरकना और जयमाल सिस्टम भी था। सुबह विदाई में लड़के को गिफ्ट में मोबाइल, टीवी, फ्रिज, कूलर, दहेज में टू ह्विलर गाड़ी भी मिला।

अब यह शादी भाई लोगों के मन में बर्फ की तरह जम गई। इन्होंने ठान लिया कि अब हम भी अपनी बेटी की शादी ऐसे ही धूमधाम से करेंगे। बस क्या था पगलू बनबासी ने दूर के एक गांव में अपनी बेटी ऐश्वर्या की शादी तय कर दी। डिमांड दोनों तरफ से हो गया। लड़के वाले ने गाड़ी मांगी तो लड़की वाले ने कहा-रोड लाइट, रथ और डीजे के बिना शादी नहीं होगी।

पगलू ने शादी की खबर अपनी बस्ती में दे दी। जेब में फूटी कौड़ी नहीं लेकिन दहेज में गाड़ी, ऐश्वर्या को मोबाइल देने की बात तय कर ली थी। पगलू टेंशन में था, कुछ सूझ नहीं रहा था कि कैसे होगा। उसने पड़ोसियों को इकट्ठा करके कहा-देखो अगर ऐश्वर्या की शादी धूमधाम से नहीं हुई तो सबकी बदनामी होगी। कुछ भी हो हमें रामचरन को पीछे छोड़ना है। सबकी इज्जत दांव पर है। पगलू के फुंकार पर सबने रुपए इकट्ठा करने पर हामी भर दी। इनके यहां शादी के लिए शुभ-अशुभ की तारीख नहीं देखते। 17 नवंबर शादी का डेट फिक्स। हमारे घर पर भी आकर पगलू कुछ पैसा ले गया।

गाड़ी के लिए पगलू ने चंदा इकट्ठा कर लिया, अब बारी खरीदने की थी। गाड़ी के लिए पगलू ने गांव के कुछ प्रतिष्ठित लोगों से हाथ-विनती जोड़ा। लोगों ने गाड़ी खरीदवा दी लेकिन यह क्या, भाई साब के लिए यह जैसे किसी यज्ञ के समान था। घर पर गाड़ी आते ही पड़ोसियों का मुंह मीठा होने लगा।

लगा जैसे इस गाड़ी पर वह खुद चढ़ने वाला हो। 17 नवंबर का दिन आ गया। घर को सजाने के लिए लाइट का इंतजाम, हलवाई, साउंड, सब अपनी जगह जमने लगे। खाने में इनके यहां सुअर का गोश्त खासकर बनता है। हलवाई को खास हिदायत दी गई इसको बनाने के लिए। पगलू के यहां मजमा लग गया। पूरे गांव को निमंत्रण मिला था, जिसके तहत सब पहुंचे और जथा-शक्ति, तथा भक्ति मदद भी की।

रात के 8 बज गए। बारात का कोई अता-पता नहीं। पूरा बनबासी खानदान टकटकी लगाए दूल्हे राजा का इंतजार कर रहा था। इसी बीच पगलू के साले साब रामखेलावन ने दो घूंट लगा लिया। इतना ही नहीं अपने जीजा जी को भी मदिरापान करा दिया। बस अब क्या था-जैसे-2 देर हो रही थी पगलू के मुंह से गालियों का दौर शुरु हो गया। आखिरकार लगभग 12 बजे बारात आ गई। आधे लोग तो सो गए थे, ऐश्वर्या की आंख पर भी पानी का छींटा मारकर जगाया गया।

सभी लोग आंख मीजते हुए उठे लेकिन यह क्या पगलू बौखला गया था। शादी नहीं होगी, बारात वापस ले जाओ, इन सालों ने किया हुआ वादा तोड़ दिया है, कोई कुछ भी कर ले अब दूसरी जगह ही शादी होगी। लोगों ने पूछना शुरु किया अरे हुआ क्या, जो इतना गरज रहे हो। बारात तो आ गई है, रोड लाइट भी है, बैंड बाजा भी ठीक-ठाक है, शादी में पांच ट्रेक्टर भी है। किसी ने कहा-अरे बारात देर से आई इसलिए पगलू भैया नाराज हो क्या। इतना कहना था कि पगलू जी का पासा सातवें आसमान पर पहुंच गया। अबे धत्...ये सब बात नहीं है।

शादी तय करते समय ही-यह सौदा हो गया था कि बारात लेकर आना लेकिन साथ में डीजे होना ही चाहिए। अब रामचरन के यहां डीजे आया था, मेरी इज्जत तो गई ना...। समाज में क्या मुंह दिखाऊंगा। पूरे गांव में हल्ला किया था बेटी की शादी में डीजे आएगा लेकिन अरमानों पर पानी फिर गया। अब कुछ नहीं हो सकता-बारात वापस ले जाओ। बिना डीजे शादी नहीं होगी। उधर ऐश्वर्या का रोना-धोना भी शुरु हो गया था। वो भी डीजे को लेकर दहाड़े मार रही थी। बाप-बेटी के हंगामे ने पूरे गांव को आधी नींद (गांव में 9 बजे तक सब सो जाते हैं) से जगा दिया, हो हल्ला को देख-सुन लोग बनबासी द्वार पहुंच गए।

मनाने का सिलसिला शुरु हो गया लेकिन पगलू ने तो दो घूंट चढ़ा ली थी इसलिए उस समय वही कंडीशन हो गई थी, जैसे-भैंस के आगे बीन बजाओ, भैंस खड़ी पगुराय। वह किसी की बात नहीं सुन रहा था, बस डीजे को लेकर खूंटा गाड़ दिया। बाराती पक्ष पगलू की हरकतों से तंग आकर प्रधानजी की शरण में जा पहुंचा। काफी मिन्नते करने के बाद प्रधान ने फोन करके डीजे का इंतजाम करवा दिया। इतना होना था कि पगलू उछलने लगा, वो रामचरन को बुलाने लगा। देखो मेरी बेटी की शादी में डीजे आ रहा है, किसी औकात है हमारे सामने। लगभग 2 बजे सुबह डीजे की धुन पर जमीन हिलने लगी। सबको साइड में करके पगलू खुद उछल-कूद करने लगा।



ये भाई साब शराब में एकदम मस्त हो गए थे। किसी कोने से दो लोग आए और हांथ पकड़कर घर ले गए। काफी हंगामे के बीच ऐश्वर्या शादी के बंधन में बंध गई लेकिन पूरे गांव के लिए सिरदर्द बन चुकी यह शादी आखिरकार हो ही गई, सबने सबने राहत की सांस ली।

सुबह पगलू का नशा उतर गया, उसने रोते-गाते ऐश्वर्या को विदा भी कर दिया। लेकिन इतना तामझाम करने के बाद अब वह पूरी तरह कर्जे में डूब चुका था। सबने समझाया था कि पगलू काहे के लिए इतना खर्चा कर रहे हो लेकिन उसे तो रामचरन को पीछे छोड़ने का भूत सवार था। अब कम से कम 15 साल दूसरों के यहां काम करने के बाद ही पगलू कर्ज के बोझ से निकल पाएगा। लेकिन जहन में एक ही सवाल है कि दहेज और शादी का तामझाम किस तरह समाज में पैर पसार रहा है।

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