देश में अब एक बार फिर से नक्सिलयों ने खुली चुनौती दी है। पं. बंगाल के झारग्राम में जिस तरह से नक्सिलयों ने सुनियोजित तरीके से हावड़ा से मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को निशाना बनाया यह पूरे देश के लिए शर्मनाक बात है।
अपने निजी स्वार्थ की खातिर नक्सली अब आम जनता को निशाना बना रहे हैं। कल तक विकास की मांग करने वाले नक्सली आम लोगों से जितना नजदीक थे आज वहीं पर आम जनता को नुकसान पहुंचाकर वे अपने स्वार्थों को पूरा करना चाहते हैं।
ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में 145 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि उससे ज्यादा घायल हुए हैं। खैर नक्सलियों ने अपने प्लान को सही तरीके से अमली जामा पहना ही दिया लेकिन देश की सुरक्षा को नक्सलियों ने एक बार फिर से चुनौती दे दी।
इसके पहले बीजापुर में भी नक्सलियों ने नागरिक बस को निशाना बनाकर 40 लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया था। उस समय भी हमारे देश में सिर्फ सियासी रोटियां ही सेकीं गई। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा था कि अब झारग्राम में नक्सलियों ने मौत का तांडव मचा दिया। इस हादसे के तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन क्षतिग्रस्त बोगियों से आज भी लाशें निकल रही हैं।
सवाल अब नक्सलियों का नहीं है क्योंकि ये अब पूरी तरह से आतंकवादियों की राह पर चल पड़े हैं। ऐसे में अब राज्य सरकार और केन्द्र सरकार पर देश की आंखे जा टिकी हैं कि क्या इस बार भी नक्सलियों से निपटने का उपाय सिर्फ बयानों में ही रह जाएगा।
देश की जनता अब एक ही मांग कर रही है कि कल तक नक्सली हमारे देश के नागरिक हुआ करते थे लेकिन आज जिस तरह से वे खूंखार रास्ते पर निकल पड़े हैं और आम लोगों के खून से अपना हाथ रंग रहे हैं, ऐसे में इन्हें या तो निस्तेनाबूत कर दिया जाए या फिर सरकार इनकी मांगों के आगे पूरी तरह नतमस्तक हो जाए। अब इन्हें और मौका नहीं देना चाहिए क्योंकि अगर मौका दिया गया तो आज जिस तरह ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को तहस-नहस कर दिया उसी तरह कल कोई और ट्रेन इनके निशाने पर आ जाएगी।
अपने निजी स्वार्थ की खातिर नक्सली अब आम जनता को निशाना बना रहे हैं। कल तक विकास की मांग करने वाले नक्सली आम लोगों से जितना नजदीक थे आज वहीं पर आम जनता को नुकसान पहुंचाकर वे अपने स्वार्थों को पूरा करना चाहते हैं।
ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में 145 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि उससे ज्यादा घायल हुए हैं। खैर नक्सलियों ने अपने प्लान को सही तरीके से अमली जामा पहना ही दिया लेकिन देश की सुरक्षा को नक्सलियों ने एक बार फिर से चुनौती दे दी।
इसके पहले बीजापुर में भी नक्सलियों ने नागरिक बस को निशाना बनाकर 40 लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया था। उस समय भी हमारे देश में सिर्फ सियासी रोटियां ही सेकीं गई। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा था कि अब झारग्राम में नक्सलियों ने मौत का तांडव मचा दिया। इस हादसे के तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन क्षतिग्रस्त बोगियों से आज भी लाशें निकल रही हैं।
सवाल अब नक्सलियों का नहीं है क्योंकि ये अब पूरी तरह से आतंकवादियों की राह पर चल पड़े हैं। ऐसे में अब राज्य सरकार और केन्द्र सरकार पर देश की आंखे जा टिकी हैं कि क्या इस बार भी नक्सलियों से निपटने का उपाय सिर्फ बयानों में ही रह जाएगा।
देश की जनता अब एक ही मांग कर रही है कि कल तक नक्सली हमारे देश के नागरिक हुआ करते थे लेकिन आज जिस तरह से वे खूंखार रास्ते पर निकल पड़े हैं और आम लोगों के खून से अपना हाथ रंग रहे हैं, ऐसे में इन्हें या तो निस्तेनाबूत कर दिया जाए या फिर सरकार इनकी मांगों के आगे पूरी तरह नतमस्तक हो जाए। अब इन्हें और मौका नहीं देना चाहिए क्योंकि अगर मौका दिया गया तो आज जिस तरह ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को तहस-नहस कर दिया उसी तरह कल कोई और ट्रेन इनके निशाने पर आ जाएगी।