Friday, August 20, 2010

दहेज लोभी दानवों से किसी तरह मिली मुक्ति

दहेज लोभी दानव कलयुग में कुछ ज्यादा ही पैर पसारने लगे हैं। आए दिन दहेज को लेकर घर की बहू-बेटियां प्रताड़ित हो रही हैं, जहां देखो वहां दहेज के नरभक्षी अपनी प्यास बुझाने के लिए हैवानियत की सारी हदें पार करने में जरा भी गुरेज नहीं करते, वे यह भी जानते हैं कि उनकी भी बेटी किसी दूसरे घर में जाएगी लेकिन वे दूसरे घर से आई हुई लड़की के ऊपर चंद रुपयों की खातिर ऐसे सितम बरपाते हैं जो मानवता को पूरी तरह से शर्मसार कर देने वाली होती है। दहेज की मांग न पूरा होने पर लड़कियों को जला देना, जहर देकर मार डालना, फांसी लगा देना आदि घटनाएं प्रतिदिन देखने को मिल ही जाती हैं।

दहेज लोभी दानवों का एक किस्सा हमारे घर के बगल में ही पिछले दिनों देखने को मिला। यहां पर हुआ कुछ इस तरह जिसे सुनकर आप भी इन दहेज लोभी राक्षसों को गाली दिए बिना नहीं रहेंगे। घर के बगल में रहने वाले एक काका अपनी सबसे छोटी लड़की की शादी करने के लिए काफी परेशान थे। उनकी पांच लड़की और एक लड़का हैं सभी की शादी हो गई है और मौजूदा समय में एक लड़की की शादी करनी बाकी है। शादी को लेकर काका काफी परेशान रहते थे, संयोग से इसी बीच किसी ने उन्हें एक शादी बताई कि लड़का एमआर है, और लड़के का पिता कोई पुलिस अधिकारी है। उसका इलाहाबाद में अच्छा मकान भी है। लड़के का पूरा परिवार पढ़ा-लिखा है, सब अच्छी-पोस्ट पर मौजूद हैं। इतना सुनकर काका तो फूले नहीं समाए और झटपट कि कहीं दूसरा कोई मौका न मार ले इसके पहले हम ही चढ़ाई कर देते हैं। बस क्या था काका कुछ लोगों को साथ लेकर उनके घर पहुंच गए।


हालांकि लड़का काफी स्मार्ट दिख रहा था, वह किसी दवा कंपनी में 15 हजार कुछ पाता था। काका ने लड़के और उसके पिता से बातचीत की तो वे मस्त हो गए कि ऐसा लड़का तो चिराग लेकर ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा। सब कुछ बातचीत हो गई, अब बारी आई दहेज की तो लड़के वाले पहले ही समझ गए थे कि सामने वाला आसामी काफी दमदार है (काका मुंबई में एक बड़े सरकारी अधिकारी थे)। इसलिए साढ़े तीन लाख कैस और एक पांच लाख की कार की मांग कर डाली। काका ने भी सोचा चलो आखिरी लड़की है दिल खोलकर खर्चा करेंगे। उनके लिए इतना दहेज देना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन लड़का सिर्फ एमआर था कोई आईएएस अधिकारी नहीं। इसके पहले काका दो बार लड़के के घर जाकर सब कुछ देख आए थे साथ में भारी-भरकम विदाई (बख्सीस) भी दिए थे।


सब कुछ फिक्स हो गया। अब बात आई लड़की को देखने की। काका ने कहा इलाहाबाद में एक होटल में कुछ कमरे बुक करा देते हैं, वहीं आकर आप लोग लड़की को देख लेना। होटल का कमरा बुक हो गया, काका ने पहले ही पूछ लिया था कि कितने लोग आएंगे, तो सामने से जवाब मिला था तकरीबन 15-20 लोग। काका ने पूरे पचास लोगों के खाने-पीने का अच्छा इंतजाम करवा दिया था। घर से मेरे पापा भी गए हुए थे और काका की बड़ी लड़की, उनकी बहू और कुछ और रिश्तेदार। तकरीबन इधर से 20 लोग हो गए थे। लेकिन हैरानी तो तब हो गई जब लड़के वाले पूरे 35 के लगभग आ धमके।

काका ने किसी तरह से इंतजाम करवा दिया। जमकर खातिरदारी हुई। लड़की को दिखाने की रश्म भी पूरी हो गई। काका ने जितने भी लोग आए थे सबके लिए अच्छे कपड़े और पांच-पांच सौ रुपए दिए लेकिन हैरानी वाली बात तो यह थी कि लड़के वाले जरा भी शर्म महसूस नहीं किए और सिर्फ एक डिब्बा सोहनपापड़ी लाए थे। लड़की को पहनाने के लिए एक अंगूठी और कुछ रुपया। लेकिन जितने लोग आए थे सबको बिदाई दिलवाने के लिए लड़के के बाप ने काका को जमकर चूसा।

बात यहीं नहीं रुकती अभी तो पिक्चर पूरा बाकी है। इसके कुछ दिन बाद लड़के के पिता ने गांव जाकर काका का मकान और हमारे घर का कच्चा मकान देखा। यहां पर भी ये भाई साहब कंजूसी की हदें पार करते हुए सिर्फ एक किलो मीठा लेकर गए थे। मैं किसी लालच वश ऐसा नहीं कह रहा हूं कि इन्होंने कुछ नहीं लाया मैं तो यह कहना चाहता हूं कि इतना लेने के बाद खर्च करने की भी हिम्मत जुटाओ। घर पर ही काका ने यह पूछा कि आप शादी कहां से करेंगे तो लड़के के बाप ने बोला हम तो गांव से शादी करेंगे। इसके बाद इन्होंने (लड़के के बाप) कहा कि अगले सप्ताह बरक्षा करने का शुभ मुहूर्त (बरक्षा जिसमें लड़के को जनेऊ और कुछ रुपए दिए जाते हैं) है आज ज्यादा कुछ नहीं सिर्फ जनेऊ लेकर आ जाना, बाकी तिलक हम नवंबर में करेंगे। शादी की भी तारीख दिसंबर में तय हो गई थी। इसी बीच लड़के की तरफ से जिस कार की डिमांड की गई थी उससे थोड़ा अलग की डिमांड कर दी गई। अब की बार जो कार मांगी गई वह पहले वाली की अपेक्षा लगभग 50 हजार मंहगी आती है। खैर काका ने यह भी मांग तहेदिल से स्वीकार कर ली। अब काका को लग रहा था कि यह रिश्ता हाथ से नहीं जाना चाहिए, अगर यह चला गया तो इतना अच्छा दामाद नहीं मिलेगा लेकिन वे शायद यह नहीं समझ पा रहे थे कि उनके साथ कितनी बड़ी साजिश रची जा रही है।

बरक्षा देने के लिए काका ने मेरे पिताजी और घर में एक सीनीयर है उनको लेकर लड़के के गांव गए। इसके पहले काका ने पांच प्रकार का फल, ढ़ेर सारी मिठाई, कुछ बर्तन और 51 हजार रुपए नगद ले गए थे। हालांकि मेरे पिताजी मना कर रहे थे कि जब उन्होंने बोला है तो आप कम ही पैसा दें। लेकिन सही ही कहा गया हो जो होना वह होकर ही रहता है। वहां पहुंचकर सबकुछ अच्छे से हो गया लेकिन जब निकलने की बारी आई तो फिर सबको विदाई देने को कहा गया। खैर काका यहां पर भी पीछे नहीं रहे और सबको पांच-पांच सौ रुपए दिए। लड़के के बाप को इतने से भी संतोष नहीं हुआ और यह दहेज लोभी दानव ने जो घर में नहीं थे उनकी भी विदाई काका से मांगी। काका ने सबको संतुष्ट किया।

लेकिन काका जब घर आए तो किसी तीसरे आदमी से खबर आती है कि ठीक से विदाई नहीं की। इसके बाद खबर आई कि इलाहाबाद से शादी होगी। इसके बाद काका का मूड बुरी तरह से ठनक गया। उन्होंने जो शादी के अगुआ थे उनको सारी बात बताई और फिर यह निश्चय हुआ कि कुछ ज्यादा ही तीन-पांच हो रहा है, लगता है शादी कैंसल करनी पड़ेगी। हालांकि इस बात के लिए मैंने भी काफी जोर दिया था कि ये साले काफी घटिया लग रहे हैं, दहेज लोभी है, काका को चूसकर खा जाएंगे। लेकिन मेरी बात का असर नहीं पड़ा। यह सब बात मैं काका के बेटे से की थी। वे मुंबई में रहते थे।

इसके बाद काका बुरी तरह से झल्ला गए और एक बार अगुआ के माध्यम से पूरी बात क्लियर करना चाह रहे थे। हमने और काका के लड़के ने तो साफ कह दिया था कि अगर ज्यादा इधर-उधर की बात हो तो तत्काल शादी रद्द कर दो। लेकिन काका ने एक बार बात करना उचित समझा। मेरा पिताजी, काका और घर के सीनियर ये लोग प्रतापगढ़ (जहां पर लड़के का घर और अगुआ का घर था) में अगुआ के घर गए, वहां पर लड़के के पिता को भी बुलाया गया। फिर उनसे हर बात को लेकर गर्मागर्म बहस हुई। लड़के के पिताजी ने माना कि हां मुझसे गलती हुई है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। लेकिन काका ने कहा कि अब तो आप हर बात क्लियर कर लें तो ज्यादा अच्छा होगा।

अब यहां पर फिर दहेज का लोभ चरम पर पहुंचने वाला था, काका ने एक डायरी में उनकी डिमांड लिखनी शुरु कर दी। काका ने पूछा कितने लोग आप आएंगे, क्या-क्या चाहिए, कौन सी कंपनी का सामान हो, कितनी विदाई चाहिए.वगैरह.वगैरह। घर आने पर फिर काका का मूड गरम हो गया और अब यह सोचने लगे कि क्यों न एक बार लड़के और लड़की का कुंडली मिलवाया जाए। यह सोच काका एक पंड़ित के पास जा पहुंचे। पंड़ित ने दोनों की कुंडली देखते ही काका पर भड़क गया और बोला अगर यह शादी होगी तो भविष्य में दोनों को भयंकर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। काका ने कई पंड़ितों को कुंड़ली दिखाई लेकिन सबने यही बात कही।

इसके बाद काका के समधी (लड़के के ससुर जो कि इलाहाबाद में रहते हैं) ने लड़के पक्ष वालों के बारे में थोड़ी जानकारी निकाली, तो एक कड़वे सच का खुलासा हुआ। यह पता चला कि इनका न तो इलाहाबाद में कोई मकान है और बाप तो एक तरह का हरामी किस्म का इंसान है। जबकि लड़के वालों ने यह बताया था कि हमारा गांव के साथ इलाहाबाद में भी जगह-जमीन है। खैर इतना पता होने के बाद मेरे पिताजी और काका ने एक प्लान के तहत लड़के के गांव जाकर कुछ और हकीकत जाननी चाही। फिर क्या था दोनों गांव पहुंचे और आस-पड़ोस के लोगों से पूछताछ शुरु कर दी। तो यहां पर भी कुछ हैरान-परेशान कर देनी वाली बातें सामने आईं। यह पता चला कि लड़के का बाप एक नंबर का हरामी है, उसका गांव में इमेज गंदी है। वह रेप केस में फंस चुका है। काका को यह भी पता चला कि लड़का शादी के बाद नौकरी छोड़ना चाहता है, और दहेज में जो पैसा मिलेगा उससे बिजनेस करेगा। यह सब जानने के बाद काका का दिमाग बुरी तरह से खराब हो गया। इसके पहले पंड़ितों ने कुंड़ली पर भी एतराज जताया था।

सब कुछ पता चलने के बाद काका ने लड़के वालों को बताया कि दोनों की कुंडली नहीं मिल रही है इसलिए शादी नहीं कर सकते। जबकि इसके पहले काका का कम से कम दो लाख रुपए खर्च हो चुका था। लेकिन काका को इस बात की परवाह नहीं थी, उनको एक सुकून था कि चलो देर से ही सही कम से कम लड़के वालों की हकीकत तो पता चल गई। नहीं तो लड़की के जाने के बाद ये लोग पता नहीं क्या-क्या डिमांड करते। काका के इनकार के बाद लड़के वालों ने कहा कि हम कुंडली जैसी बातों को नहीं मानते हैं और आप भी इस चक्कर में न पड़े तो ज्यादा ही बेहतर होगा। लेकिन काका ने एक न सुनी। काका को तो अब उनसे पीछा छुड़ाना था।

मौजूदा समय में यह शादी कैंसल हो चुकी है, काका को अपने दो लाख का गम नहीं है, उन्हें सुकून है कि हमारी लड़की की जिंदगी बच गई। हमारी लड़की दानवों के घर जा रही थी लेकिन समय पर आंख खुल गई। भगवान ऐसे दहेज लोभियों से बचाए। इस पूरे घटना में मेरा सिर्फ यही कहना है कि जहां पर इस तरह के दहेज लोभी पड़े हैं उनके घर लड़की वालों को सोच-समझ के कदम रखना चाहिए। यह दहेज के दानव न सिर्फ अपने लड़के का सौदा करते हैं बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी को भी गर्त में डालने का काम करते हैं। हालांकि हमारे इधर बिना दहेज दिए लड़की का ब्याह करना मुमकिन नहीं है लेकिन फिर भी इस तरह के लालची आदमियों की पहचान तो हो गई।

1 comment:

  1. बदिया , लिखा आपने. चलो लड़की की जिंदगी तो बच गई.

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