Sunday, December 23, 2012

प्रधानमंत्री जी, आशा करता हूं आप आगे भी मौन धर्म निभाएंगे...

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

दिल्ली में बैठकर आप पूरे देश पर नजर रखते हैं। समझ सकता हूं, यह काम बहुत कठिन है। हर जगह आप पहुंच तो नहीं सकते न...लेकिन सरेराह महिलाओं के साथ दिल्ली पुलिस ने जो दरिदंगी की, उसे भी आप न देख सके। लड़कियों, महिलाओं को आपकी पुलिस ने दौड़ा-दौड़कर पीटा, कड़कती ठंड़ में पानी की बौछारें छोड़ी, आंसू गैस के गोले दागे। पूरा देश इस अत्याचार को देखकर रो पड़ा...। लेकिन यह आंसू आप न देख सके। अफसोस। बहुत दुखः हुआ। निराशा भी हुई। महिलाओं ने सिर्फ एक गलती की...हक जो मांग लिया।

पूरा देश एक दरिंदगी पर उठ खड़ा हुआ लेकिन आपने अपना आसन नहीं छोड़ा। सही भी है..। ऐसी दरिदंगी तो आए दिन होती ही रहती है। कहां तक आप नजर रखोगे। किस-किस को आप जवाब दोगे। आपके पास एक काम थोड़ी ही है...। लेकिन प्रधानमंत्री महोदय, एक नागरिक होने के नाते मैं आपको बता दूं कि यह दरिदंगी कोई आम नहीं थी। एक लड़की को इंसान रूपी हवसी कुत्तों ने चलती बस में नोचा। कई घंटे तक उसकी आबरू को तार-तार किया गया। इतना ही नहीं उसके साथ जो कुछ हुआ उसे देख और सुनकर पूरे देश के रोंगटे खड़े हो गए। वो खौफनाक मंजर को याद कर पीड़िता कांप उठती है। अभी भी वह लड़की अस्पताल में दर्द से कराह रही है, जबकि पूरा देश आपके मौन रूप को देखकर तड़प रहा है।

जिस देश में महिलाओं को सबसे ऊंचा स्थान आपने दिया है, आज वही औरत जमीन में पड़ी दर्द से छटपटा रही है। सिर्फ झूठे आश्वासन से उसके घाव को भरा जा रहा है। आज स्थिति यह हो गई है कि घर से निकलने वाली हर लड़की, हर महिला डरती है। प्रधानमंत्री जी, यह डर आपने और आपकी सरकार ने ही पैदा किए हैं। क्योंकि दिल्ली में जिस तरीके से हक की एक आवाज को लाठी की चोट पर आपने दबवाया, उसको देख महिलाओं को आप और आपके कानून पर से भरोसा उठ चुका है।

एफडीआई जैसे मुद्दे पर आपकी सरकार ने जो एकजुटता दिखाई वह काबिलेतारीफ थी। लेकिन एक लड़की की चीख को आपकी सरकार ने अनसुना कर दिया। इन्हीं महिलाओं ने जब आपसे अपना हक मांगा तो वहां भी आपने मुंह फेर लिया, और...। पूरे देश ने आपकी कारश्तानी देखी।

हक के लिए निकलने वाली हर आवाज को कुचल डालो...। यही आपकी सरकार की तरफ से किया जा रहा है। वोट मांगने के लिए राहुल गांधी, सोनिया गांधी गांव-शहर का दौरा करते हैं और एक वादा करके लौटते हैं लेकिन आज कोई सामने न आ सका। शायद किसी के पास कोई जवाब न रहा होगा। मेरे पास भी आपसे कहने को अब ज्यादा कुछ नहीं है, और आखिर में यही आशा करता हूं कि आप अपने मौन व्रत को कभी टूटने नहीं देंगे। धन्यवाद।

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