Friday, February 22, 2013

धमाके की सूचना मिल भी गई तो क्या उखाड़ लिये...?

हैदराबाद का दिलसुखनगर...। 21 फरवरी...दिन गुरुवार...शाम के सात बजे थे, लोग अपनी-अपनी मंजिल की तरफ आ-जा रहे थे। कोई दोस्त के साथ, कोई अकेला, कोई पत्नी या प्रेमिका के साथ, कोई मां-बाप के साथ...। किसी को किसी प्रकार की अनहोनी की आशंका नहीं थी। लेकिन इसी सोच के बीच खून की होली खेलने का प्लान रचा जा चुका था।

लगभग 7 बजकर 05 मिनट पर दिलसुखनगर बस स्टैंड के पास जोरदार धमाका होता है। कोई कुछ समझ पाता, इतने में एक दूसरे ब्लास्ट ने चीत्कार की आग में पेट्रोल डालने का काम कर दिया। चारों तरफ अफरा-तफरी। सड़कों पर खून ही खून, चीख-पुकार और असहनीय दर्द की हुंकार ने पूरे देश को हिला दिया, सिवाय उन नापाक लोगों के जिन्होंने यह किया। पलक झपकते यह खबर जंगल में आग की तरह फैली, आनन-फानन में पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया, फायर ब्रिगेड की गाड़ी, मौके पर बम स्क्वायड दस्ते की दस्तक...कुल मिलाकर पूरा प्रशासन घटनास्थल पर हाजिर। उधर, हैदराबाद में हुए धमाके की गूंज ने दिल्ली के भी कान खड़े कर दिये।


पीएम, गृहमंत्री से लेकर विपक्षीगण धमाके की निंदा करने में लग गए। सभी का एक जैसा बयान, ऐसा करने वालों को बक्शा नहीं जाएगा...मुंह तोड़ जवाब देंगे...हमारे हौसले को डिगा नहीं सकते...इस हमले की हम घोर निंदा करते हैं...मरने और घायलों के परिवार को हमारी तरफ से सांत्वना। आज भी वही घिसी-पिटी बयानबाजी। मरने वाले मर गए...लेकिन हर बार की तरह इस बार भी इनका सिर्फ मुंह चला और एक दूसरे के ऊपर छींटाकसी। देश जानता है...दो-चार दिन की भागदौड़ के बाद पुलिस कुछएक को गिरफ्तार करेगी, चार्जशीट दायर कर आरोपी रिमांड पर लिए जाएंगे और फिर वही होगा जो हर बार होता आया है...तारीख पे तारीख...तारीख पे तारीख...।


जोश में आकर अगर कोर्ट ने थोड़ी जल्दबाजी दिखा भी दी तो साल दर साल सजायाफ्ता लोगों की फाइल साहबों के दफ्तर में चक्कर काटती रहेगी। आखिरकार फाइल असली माई-बाप के पास पहुंच भी जाएगी तो क्या होगा...। माई-बाप जो ठहरे...। आरोपियों पर तो दया नहीं आएगी लेकिन इनके परिवार का सूखा हुआ चेहरा देख पिघलने पर ये मजबूर हो जाते हैं। इस बीच दया याचिका का पिटारा ''यहां'' पटका जाएगा, जिसके बाद एक बार फिर पीड़ित परिवार के उस घाव पर नमक-मिर्च लगाकर तड़पने के लिए छोड़ दिया जाएगा।

घूम-फिरकर देश को सीख क्या मिली...हमें तो कुछ नहीं, आतंकियों का हौसला ऊपर से बुलंद हो गया। दिलसुखनगर ब्लास्ट के बाद गृहमंत्री ने कहा, ''हमें तो दो दिन पहले से ही सूचना मिल गई थी...हमने राज्यों को बता दिया था...। लेकिन यह धमाका कहां होने वाला है, जगह का नाम सामने नहीं आया।'' सही कहा गृहमंत्री जी, फिल्मों में विलेन की तरह आतंकियों को भी फोन करके आपको जगह का नाम बता देना चाहिए था।


आज देश की एक ही आवाज निकल रही है कि जब दो दिन पहले आपको सूचना थी तो क्या उखाड़ लिये...। जिसे उखाड़ना था, वो तो उखाड़कर चलता बना... अब आप राज्यों को अलर्ट की सूचना देने का राग अलापते रहो...। इतना कुछ देखकर तो यही लगता है कि आतंकी कायर नहीं, क्योंकि वो बताकर धमाका (गृहमंत्री को पहले जानकारी थी...जैसा की बताया गया) करते हैं। कायर आप बन जाते हो क्योंकि आप और आपकी सुरक्षा व्यवस्था उस गुब्बारे की तरह हो गई है, जिसमें एक सूई चुभोई और फिस्सससस!!!

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