Sunday, January 31, 2010

ठाकरे की करतूत पर सरकार की चुप्पी

महाराष्ट्र में मौजूदा समय में जो हो रहा है वह पूरे देश के लिए शर्मनाक है। पहले राजठाकरे का उत्तर भारतीयों पर हमला बोलना और अब बाल ठाकरे द्वारा किंग खान को निशाना बनाया जाना। यह पूरा प्रकरण राजनीतिक स्टंट का नजीता मालूम पड़ता है।

अगर यह कोई राजनीतिक स्टंट न होती तो अब तक महाराष्ट्र सरकार कोई न कोई सख्त कदम उठा लेती। लेकिन चाहे उत्तर भारतीय पर हमले का मामला रहा हो या फिर जया बच्चन, लालू प्रसाद यादव, सचिन तेंडुलकर, आमिर खान और अब शाहरुख का, इन सभी मामले में सरकार पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है।

भाषावाद के नाम पर जिस तरह से देश को बांटा जा रहा है वह बेहद ही दुखद है। शाहरुख खान ने आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खिलाने की बात कही थी। बस इतनी सी बात पर शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे आग बबूला होकर उन्हें देश से बाहर तक चले जाने का फरमान सुना डाला। यहां तक कि 12 फरवरी को किंग खान की आने वाली फिल्म माय नेम इज खान का भी शिवसेना जमकर विरोध कर रही है। पोस्टर जला रही, थिएटर मालिकों को धमकी भी दी जा रही है।

आखिर शाहरूख खान ने ऐसी क्या बात कह दी जो ठाकरे को नहीं अच्छी लगी। खान ने जो बातें कहीं वह पूरा देश जानता है फिर ठाकरे को इसमें देश के खिलाफ क्या दिख गया। क्या यही भारत के सबसे बड़े देश भक्त हैं, दूसरा कोई देश की भलाई नहीं चाहता।

खैर, ठाकरे के कारनामे को देश की जनता देख रही है लेकिन इतनी चुप्पी मारकर बैठना क्या ठीक है, क्या सरकार को ठाकरे के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाना चाहिए। क्या यही देश की एकता और अखंडता है।

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