Tuesday, July 13, 2010

कब रुकेंगी सम्मान के नाम पर हत्याएं

जिसे हम सम्मान के नाम पर हत्या कह रहे हैं और ऑनर किलिंग का नाम दे रहे हैं दलअसल मेरे विचार से यह सिर्फ नासमझी है और कुछ नहीं। दुनिया कहां से कहां जा रही है लेकिन हम वही पुराने खयालातों में ही गोते लगा रहे हैं। वहीं पुरानी परंपराएं, वही पुराना सभ्यता और संस्कृति।

आज एक बार फिर उत्तर प्रदेश में सम्मान के नाम पर दो प्रेमी को मौत के घाट उतारने का मामला सामने आया है। नियम और कानून के साथ अब तो लोग ऐसे खिलवाड़ कर रहे हैं जैसे कोई फुटबॉलर गेंद से खेलता हो। सुप्रीम कोर्ट के बयान के बाद भी न तो कोई प्रशासन इसे गंभीरता से ले रहा है न तो लोगों के कानों में जूं रेंग रहा है।

प्रेम करना कोई गुनाह नहीं है लेकिन अब तालीबानी हुक्मरान हमारे यहां भी देखे जाने लगे हैं। उनके कहने पर ही अपने ही अपनों के कातिल बन रहे हैं। अगर प्यार करने वाले दो जाति के हों और दोनों चुपके से शादी कर ली, तो समझो इनका परिवार और समाज के बीच रहना मुश्किल हो जाएगा। इनका हुक्का पानी बंद करने के साथ गांव की पंचायत परिवार को न सिर्फ बहिस्कृत कर देती है बल्कि जोड़ी को ऐसे फरमान भी सुनाती है जो कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाती हों।

खाप पंचायतों के तालिबानी फरमान से अब प्यार करने वाले पहले अंजाम की फिक्र करने में लग जाते हैं। उन्हें अंदर ही अंदर यह सालता है कि हम प्यार तो कर बैठें है लेकिन शादी के बंधन में कैसे बंधा जाए। जबकि कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस के. जी. बालाकृष्णनन ने कहा था कि प्यार करने वाले किसी खाप से नहीं डरते। हो सकता है इस शब्द को सुनने के बाद प्रेमी जोड़ों को थोड़ा बहुत तसल्ली मिली हो लेकिन इनका डर कम नहीं हुआ है।

खाप पंचायतों की हिंदू मैरिज एक्ट में बदलाव की मांग को भी कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है वहीं खाप पंचायतों के तालिबानी फरमानों पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने एक समूह भी गठित कर डाला है लेकिन नतीजा शायद ही निकल सके। क्योंकि सरकार में बैठे कुछ नेता भी खाप का समर्थन करते हैं। ऐसे में अब तो यह भी स्पष्ट हो रहा है कि जिसे हम ऑनर किलिंग कहते हैं दरअसल वह सम्मान के नाम पर हत्या है। जो भी लड़की अपने परिवार के खिलाफ शादी करती है वो भी दूसरे जाति के लड़के के साथ तो ऐसे में खुद लड़की के परिवार वाले और पंचायत दोनों मिलकर विवाहित जोड़े को मौत की सजा सुनाते हैं। कई मां बात तो बिना पंचायत के लड़की-लड़के को मौत की नींद सुला देते हैं।

हम जिसे सम्मान के नाम पर हत्या कहते हैं आखिर वह कब रुकेगी। कब इंसानों का सम्मान जागेगा। कब हम चेतेंगे, दुनिया कहां से कहां जा रही है और हम वहीं पुरानी अवधारणाओं को लेकर जी रहे हैं। हम विश्व स्तर पर जहां पर अपने विकास का डंका बजा रहे हैं वहीं ऐसी हैवानियत आखिर हमें किस दिशा में ले जाएगी। समय रहते अगर हमारी सरकार न चेती तो दुनिया के सामने एक बार फिर से हमेंशर्म से सिर झुका लेना होगा।

1 comment:

  1. अच्छा मुद्दा उठाया है आपने - जहाँ तक में समझता हूँ आपसी विश्वास और शिक्षा ही इन कुरित्यों से छुटकारा दिला सकती है.

    ReplyDelete