पाकिस्तान कितना ही तीर चलाए, हम घायल जरूर होंगे लेकिन सिर नहीं उठाएंगे। पाकिस्तान का पैंतरा बदलना कोई नई बात नहीं है, कई सालों से हम ऐसे तीखे बयान सुनते आ रहे हैं लेकिन हमारे कान ऐसी बातें सुनने के आदी हो गए हैं। आस-पड़ोस कुछ भी कहे इससे हमें क्या। हम तो मौनी बाबा बनकर एक जगह जम गए हैं। फिर वह चाहे पाकिस्तान हो या फिर पड़ोसी भाई चीन।
आज हमारे विदेश मंत्री एसएम. कृष्णा ने भी यह साबित कर दिया है कि भारत कितना शांतिप्रिय देश है, जो कुछ नहीं सुनता। हमें चाहे जितना भी कोसा जाए, आरोप लगाए जाए कोई मतलब नहीं। कृष्णा पाकिस्तान गए, सोचा था थोड़ा बहुत संबंध अच्छा होगा लेकिन नतीजा उल्टा निकला। पाकिस्तान ने ऐसे तीर चलाए कि कृष्णा जैसे लोग भले ही घायल न हुए हो लेकिन भारत का एक आम इंसान जरूर आहत हुआ है।
तीन दिन की यात्रा के बाद कृष्णा के भारत आते ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, यहां के लोग हमसे बातचीत में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे बल्कि वे दिल्ली फोन पर बातें करने में ज्यादा मशगूल थे। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तो यहां तक कह दिया कि भारत बिना किसी तैयारी के यहां पर आया था। कृष्णा ने गंभीर मुद्दों पर बातचीत करने के लिए कहा था लेकिन उनका प्रतिनिधि मंडल बैठक में अंदर-बाहर ही होता रहा।
अब बताइए कुरैशी के इस बयान को भारत का एक आम नागरिक किस नजरिए से देखेगा। जहां तक मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है, मैं कृष्णा को ही दोषी ठहराऊंगा। क्योंकि वे यह शायद भूल गए कि यह वही पाकिस्तान है जो आज तक यह नहीं स्वीकार कर सका कि मुंबई पर हमले के पीछे उसकी सरजमी का इस्तेमाल किया गया।
भारत द्वारा पर्याप्त सबूत दिए जाने के बाद भी पाकिस्तान उल्टा चोर कोतवाल को डाटे जैसी बातें करता आ रहा है। पाक का पैंतरा बदलना कोई नई बात नहीं है, बल्कि वह सालों से इस तरह की घटिया बयानबाजी करता आ रहा है। ऐसे में भारत को चाहिए था कि वह ऐसी कोई पहल न करें, जिससे भारत का एक आम नागरिक घायल हो, हालांकि हमारे देश के नेताओं को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं है।
आज हमारे विदेश मंत्री एसएम. कृष्णा ने भी यह साबित कर दिया है कि भारत कितना शांतिप्रिय देश है, जो कुछ नहीं सुनता। हमें चाहे जितना भी कोसा जाए, आरोप लगाए जाए कोई मतलब नहीं। कृष्णा पाकिस्तान गए, सोचा था थोड़ा बहुत संबंध अच्छा होगा लेकिन नतीजा उल्टा निकला। पाकिस्तान ने ऐसे तीर चलाए कि कृष्णा जैसे लोग भले ही घायल न हुए हो लेकिन भारत का एक आम इंसान जरूर आहत हुआ है।
तीन दिन की यात्रा के बाद कृष्णा के भारत आते ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, यहां के लोग हमसे बातचीत में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे बल्कि वे दिल्ली फोन पर बातें करने में ज्यादा मशगूल थे। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तो यहां तक कह दिया कि भारत बिना किसी तैयारी के यहां पर आया था। कृष्णा ने गंभीर मुद्दों पर बातचीत करने के लिए कहा था लेकिन उनका प्रतिनिधि मंडल बैठक में अंदर-बाहर ही होता रहा।
अब बताइए कुरैशी के इस बयान को भारत का एक आम नागरिक किस नजरिए से देखेगा। जहां तक मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है, मैं कृष्णा को ही दोषी ठहराऊंगा। क्योंकि वे यह शायद भूल गए कि यह वही पाकिस्तान है जो आज तक यह नहीं स्वीकार कर सका कि मुंबई पर हमले के पीछे उसकी सरजमी का इस्तेमाल किया गया।
भारत द्वारा पर्याप्त सबूत दिए जाने के बाद भी पाकिस्तान उल्टा चोर कोतवाल को डाटे जैसी बातें करता आ रहा है। पाक का पैंतरा बदलना कोई नई बात नहीं है, बल्कि वह सालों से इस तरह की घटिया बयानबाजी करता आ रहा है। ऐसे में भारत को चाहिए था कि वह ऐसी कोई पहल न करें, जिससे भारत का एक आम नागरिक घायल हो, हालांकि हमारे देश के नेताओं को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं है।
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