आज श्रीलंका के हाथों भारतीय क्रिकेट टीम को बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा। ऐसी हार शायद ही किसी भारतीय क्रिकेट प्रेमी ने सोची होगी। सारे दिग्गजों से सजी भारतीय टीम धोनी को शादी का गिफ्ट नहीं दे पाई।
धोनी भी श्रीलंका में एक पंथ दो काम करने गए थे। सोचा था अपनी बचपन की सहपाठी साक्षी से शादी करके श्रीलंका दौरे पर क्रिकेट टीम की कप्तानी भी हो जाएगी साथ में हनीमून भी। लेकिन हो सकता है धोनी का हनीमून अच्छे से मन जाए लेकिन धोनी ने अपने सहयोगियों से जो गिफ्ट की मांग की थी वह नहीं मिल पाई। साक्षी भी सोच रही होंगी कि काश भारत में ही रह गई होती तो आज यह दिन न देखना पड़ता। धोनी भी साक्षी को जीत का गिफ्ट नहीं दे पाए।
लेकिन हम हार की बात करें तो सामने आता ही टीम में एकजुटता, सामंजस्य और एकाग्रता नाम की कोई विषयवस्तु नहीं देखी गई। सहवाग और युवराज को छोड़कर कोई भी खिलाड़ी न तो ठीक से बल्लेबाजी कर पाया न ही हमारे गेंदबाज गेंदबाजी। वैसे हम सिर्फ धोनी के सिर पर रात का ठीकरा नहीं फोड़ सकते, इस हार में सभी खिलाड़ी बराबर के हिस्सेदार हैं। वो फिर चाहे सचिन हों या फिर द्रविड़ या फिर खुद कप्तान धोनी। किसी ने भी अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निर्वहन नहीं किया।
फिर भी यह हार कई मायनों में दुखदाई है। सबसे ज्यादा तो धोनी के लिए क्योंकि उन्होंने साक्षी से वादा किया था कि वह उन्हें जीत का गिफ्ट देंगे लेकिन उनके हनीमून को हार का गिफ्ट मिला। खैर कोई बात नहीं आगे और मैच होने हैं। साक्षी को हनीमून का गिफ्ट देने का और मौका है धोनी के पास। लेकिन इस बात कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना। अगर यह मौका चला गया तो फिर धोनी न तो फिर से हनीमून पर जाएंगे और न ही साक्षी के लिए यह पहला दौरा होगा।
इन सब बातों को दरकिनार करते हुए हम आज मुरली धरन को सबसे पहले बधाई देना चाहेंगे कि वे आज दुनिया के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं। स्पिन के जादूगर कहे जाने वाले मुरलीधरन ने आज अपना ८क्क्वां विकेट लेने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इसके पहले भारत के अनिल कुंबले और इसके पहले ऑस्ट्रेलिया के शेन वार्न ने भी कुछ इसी तरह से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को गुड बाय कहा था। लेकिन मुरली ने जिस तरह से यह मुकाम हासिल किया वह अब शायद ही क्रिकेट जगत में देखने को मिले।
मुरली की हिम्मत और उनके स्टेमिना की दाद देनी होगी कि उन्होंने एक टारगेट को लगातार बनाए रखा और शेनवार्न को पीछे छोड़ते हुए आज यह मंजिल भारत के खिलाफ खेले गए टेस्ट में हासिल कर ली। गाले में हर वो दर्शक जो मैच देख रहा था उसके लिए यह दिन एक यादगार दिन रहेगा। लेकिन यह दिन सिर्फ श्रीलंकाई के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व में जितने भी क्रिकेट प्रेमी हैं सबके जहन में गाले टेस्ट बस गया है। अब न तो दूसरा वार्न पैदा होगा और न ही मुरली। आज क्रिकेट जगत के एन अध्याय का पूरा पन्ना खत्म हो गया जिसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया और यह पन्ना खुद मुरली ने अपने हाथों बंद किया।
धोनी भी श्रीलंका में एक पंथ दो काम करने गए थे। सोचा था अपनी बचपन की सहपाठी साक्षी से शादी करके श्रीलंका दौरे पर क्रिकेट टीम की कप्तानी भी हो जाएगी साथ में हनीमून भी। लेकिन हो सकता है धोनी का हनीमून अच्छे से मन जाए लेकिन धोनी ने अपने सहयोगियों से जो गिफ्ट की मांग की थी वह नहीं मिल पाई। साक्षी भी सोच रही होंगी कि काश भारत में ही रह गई होती तो आज यह दिन न देखना पड़ता। धोनी भी साक्षी को जीत का गिफ्ट नहीं दे पाए।
लेकिन हम हार की बात करें तो सामने आता ही टीम में एकजुटता, सामंजस्य और एकाग्रता नाम की कोई विषयवस्तु नहीं देखी गई। सहवाग और युवराज को छोड़कर कोई भी खिलाड़ी न तो ठीक से बल्लेबाजी कर पाया न ही हमारे गेंदबाज गेंदबाजी। वैसे हम सिर्फ धोनी के सिर पर रात का ठीकरा नहीं फोड़ सकते, इस हार में सभी खिलाड़ी बराबर के हिस्सेदार हैं। वो फिर चाहे सचिन हों या फिर द्रविड़ या फिर खुद कप्तान धोनी। किसी ने भी अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निर्वहन नहीं किया।
फिर भी यह हार कई मायनों में दुखदाई है। सबसे ज्यादा तो धोनी के लिए क्योंकि उन्होंने साक्षी से वादा किया था कि वह उन्हें जीत का गिफ्ट देंगे लेकिन उनके हनीमून को हार का गिफ्ट मिला। खैर कोई बात नहीं आगे और मैच होने हैं। साक्षी को हनीमून का गिफ्ट देने का और मौका है धोनी के पास। लेकिन इस बात कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना। अगर यह मौका चला गया तो फिर धोनी न तो फिर से हनीमून पर जाएंगे और न ही साक्षी के लिए यह पहला दौरा होगा।
इन सब बातों को दरकिनार करते हुए हम आज मुरली धरन को सबसे पहले बधाई देना चाहेंगे कि वे आज दुनिया के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं। स्पिन के जादूगर कहे जाने वाले मुरलीधरन ने आज अपना ८क्क्वां विकेट लेने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इसके पहले भारत के अनिल कुंबले और इसके पहले ऑस्ट्रेलिया के शेन वार्न ने भी कुछ इसी तरह से अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को गुड बाय कहा था। लेकिन मुरली ने जिस तरह से यह मुकाम हासिल किया वह अब शायद ही क्रिकेट जगत में देखने को मिले।
मुरली की हिम्मत और उनके स्टेमिना की दाद देनी होगी कि उन्होंने एक टारगेट को लगातार बनाए रखा और शेनवार्न को पीछे छोड़ते हुए आज यह मंजिल भारत के खिलाफ खेले गए टेस्ट में हासिल कर ली। गाले में हर वो दर्शक जो मैच देख रहा था उसके लिए यह दिन एक यादगार दिन रहेगा। लेकिन यह दिन सिर्फ श्रीलंकाई के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व में जितने भी क्रिकेट प्रेमी हैं सबके जहन में गाले टेस्ट बस गया है। अब न तो दूसरा वार्न पैदा होगा और न ही मुरली। आज क्रिकेट जगत के एन अध्याय का पूरा पन्ना खत्म हो गया जिसे हमेशा के लिए बंद कर दिया गया और यह पन्ना खुद मुरली ने अपने हाथों बंद किया।
No comments:
Post a Comment